प्रकृति का प्रकोप निबंध in Hindi
प्रस्तावना- मानव अपने स्वार्थवस प्रकृति को अनेक प्रकार से नुकसान पहुंचा रहा है, प्रकृति का संतुलन अनेक तरीके से बिगड़ रहा है। इसके कारण प्राकृतिक आपदाओं को मानव ने ही जन्म दिया है। प्रकृति का प्रकोप भी एक भयंकर आपदा है।
प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप जैसे ही आता है तब पेड़ पौधे, जीव जंतु सभी की क्षति होती है। जिसमें मानव की भी हानि होती है । जैसे भूकंप की तीव्र गति के कारण धरती में कम्पन होता है और मनुष्य के बने हुए घर मकानो की दीवारों पर दरांग पड़ जाती है।
कुछ भूकंप आपदाएं इतनी तीव्र गति की होती है की इंसानों द्वारा बनाई हुई इमारतें क्षण भर में जमीन पर गिरकर नष्ट हो जाती है, एक ही झटके में सब नष्ट हो जाता है, कई परिवार इस भयानक प्राकृतिक आपदा के शिकार हो जाते हैं, अचानक धरती पर आए इस कम्पन को भूकंप कहते हैं।
मानव दुनिया को विकसित करने के लिए नई-नई तकनीकी की खोज कर रहा है लेकिन फिरभी जानभूझकर पेड़ पौधे की कटाई कर रहा है इसके चलते प्रकृति को क्षति पहुंच रही है। जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक संतुलन स्थिति बिगड़ रही है।
प्रकृति हमारी लिए बहुमूल्य हैं। जो हमें जीवन दान देती हैं।
प्रकृति और मानव- प्रकृति हमारे लिए एक बहुत ही अनमोल रत्न है। पेड़ पौधों से प्राप्त ऑक्सीजन से हम सांस ले पाते हैं और पेड़ पौधे द्वारा भोजन पाते हैं। प्रकृति मानव के लिए एक बहुमूल्य उपहार है। इस प्रकृति के द्वारा मानव का जीवित रहना संभव हुआ है।
हम जो कुछ भी इस पृथ्वी पर रहकर देखते हैं वह प्रकृति का निर्माण करता है। जैसे की सूर्य, चंद्रमा, मनुष्य, जीव जंतु, पेड़ पौधे, फल, फूल, पशु पक्षी, आदि शामिल है ।
इस पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए प्रत्येक मानव या प्राणी एक दूसरे पर निर्भर हैं या जुड़ा हुआ है। जैसे की मानव अपने जीवन में जीने के लिए प्रकृति पर निर्भर होता है। प्रकृति हमें अन्य प्रकार की चीजों के अलावा ऑक्सीजन, पानी, भोजन, आदि प्रदान करती है।
हम सभी प्रकार से प्रकृति पर आश्रित है।
प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना ही, सभी कर्तव्य हैं।
आज के समय में हम देख रहे हैं कि मानव अपनी जरूरतों के लिए प्राकृतिक वातावरण पर ध्यान न देकर अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगा हुआ है। मनुष्य जिस प्रकार अपनी तरक्की के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, इसी के चलते प्रकृति अपना रूद्र रूप दिखा रही है।
इसका नतीजा हमें कई तरह से देखने को मिलता है जैसे की बिन मौसम बरसात आना, भूकंप आना, भारी बरसात आना, जंगलों में आग लगना, समुद्रों में चक्रवात तूफान आना , ज्वालामुखी का उद्गार होना, असमय बाढ़ आ जाना ऐसी घटनाएं हमें आज के समय में हर रोज देखने को मिल रही हैं।
इन घटनाओं का कारण मानव खुद है क्योंकि पेड़ पौधों की कटाई करना, वातावरण को प्रदूषित करना मानव बिना सोचे समझे कर रहा है। मानव स्वयं अपने जीवन को नष्ट कर रहा है। इन घटनाओं को रोकना अब मानव के हाथ में नहीं हैं, इसके लिए मानव खुद जिम्मेदार है।
उपसंहार- प्रकृति के प्रकोप की घटनाओं को रोकना मानव का कर्तव्य है इसलिए हमें प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं को रोकने के लिए तैयार होना होगा। और प्रकृति के पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना हुआ तभी हम जीवन को सही ढंग से यापन कर सकते हैं।
0 comments:
Post a Comment