Wednesday, 19 July 2023

बालक बालिका एक समान पर निबंध Balak Balika ek saman essay in hindi

बालक बालिका एक समान पर निबंध

दोस्तों नमस्कार, कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल बालक बालिका एक समान आप सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आप इस आर्टिकल को पढ़ें समझें और अपनी परीक्षा की तैयारी करें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे आर्टिकल को

प्रस्तावना- आज के समय में बालक बालिका एक समान है, सरकार ने भी बालक बालिका दोनों को समान अधिकार दिए हैं, सरकार भी बालिकाओं को आगे बढ़ाने के लिए पहल कर रही है। हम सभी को बालक बालिकाओं को आगे बढ़ाना चाहिए और उनको पढ़ाना चाहिए जिससे वह आगे चलकर जीवन में तरक्की कर सके।

बालक बालिका एक समान- आज से कुछ समय पहले बालक बालिकाओ को एक समान नहीं समझा जाता था दरअसल महिलाओं के प्रति कई कुप्रथाओ में जैसे कि पर्दा प्रथा, सती प्रथा आदि प्रथाओं ने महिलाओं की स्थिति दयनीय कर दी और महिलाओं को कई सारे अधिकार भी नहीं दिए और उनसे अधिकार छीन भी लिए गए, महिलाओं को पुरुष के अधीन रहना पड़ता था। 

लोग बालिकाओं को पढ़ाना पसंद नहीं करते थे वो समझते थे कि बालिकाएं तो शादी के बाद अपने घर चली जाएंगी लेकिन आज के आधुनिक युग में बालिकाएं भी बालकों के साथ आगे बढ़ रही हैं। चाहे वह पढ़ाई का क्षेत्र हो, चाहे वह नौकरी का चाहे वह बिजनेस का क्षेत्र हो हर एक क्षेत्र में बालिकाएं बालकों के साथ में आगे बढ़ती जा रही हैं।

आज के समय में सरकार भी बालिकाओं को आगे बढ़ाने का प्रयत्न कर रही है और लोगों को जागरूक कर रही है कि वह बालकों के साथ में बालिकाओं को भी पढ़ाई लिखाई करवाएं और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें।

बालिका बालिकाएं हमारे देश का नाम भी रोशन कर रही हैं, देश को आगे भी बढ़ा रही हैं, बालिकाएं आज धीरे-धीरे ऐसे उच्च पदों पर पहुंच रही हैं उन्हें वहां देखकर हम समझ सकते हैं कि आज बालक बालिका एक समान है। 

सरकार ने हर प्रयत्न किया है जिससे वह बालक बालिकाओं के बीच का अंतर दूर कर सके और बालिकाओं को भी बालकों के समान अधिकार दे सकें।

उपसंहार- आज के समय में हम सभी को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। हमें बालक बालिकाओं को एक समान समझना चाहिए। सरकार कई ऐसे कदम उठा रही है जिससे बालक बालिकाओं के बीच का अंतर हम दूर कर सकते हैं और बालिकाओं को भी हम बालकों की तरह पढ़ा लिखाकर आगे बढ़ा सकते हैं।

वास्तव में हमें जागरूक होना चाहिए और बालिकाओं को भी बालकों के समान समझकर आगे बढ़ाना चाहिए।

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