कबीर एक समाज सुधारक पर निबंध इन हिन्दी
प्रस्तावना- कबीर दास जी एक समाज सुधारक थे जिन्होंने समाज की कई बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न किया। वह एक कवि भी थे और संत के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने बिना डरे समाज के लिए जो किया वह काफी महत्वपूर्ण है।
कबीर दास जी का जन्म एवं परिवार- कबीर दास जी का जन्म काशी के लहरतारा नामक स्थान में हुआ था इनका जन्म एक हिंदू माता के गर्भ से हुआ था लेकिन लोकलाज के डर से इनकी माता ने इन्हें त्याग दिया था।
इनकी माता ने इन्हें एक तालाब के पास छोड़ दिया था उसके बाद जुलाहे मुस्लिम दंपत्ति ने इन्हें वहां पर देखा और उन्हें वहां से उठाकर इनको अपने साथ ले गए थे और फिर मुस्लिम जुलाहे दंपत्ति ने ही इनका पालन पोषण किया था।
कबीरदास एक समाज सुधारक- कबीर दास जी समाज सुधारक थे उन्होंने समाज सुधारने के लिए काफी प्रयत्न किया, उन्होंने हिंदू एवं मुस्लिम किसी भी धर्म को वरीयता नहीं दी। वह स्कूल की शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए लेकिन फिर भी वह कई सारी भाषाएं जानते थे कई सारी भाषाओं में वह हिंदी, ब्रज, अवधि, भोजपुरी जैसी कई भाषाएं जानते थे।
एक बार वह एक घाट पर बैठे हुए थे तब अनजाने में स्वामी रामानंद के गुजरते हुए उनका पैर कबीरदास जी में जा लगा। कबीरदास जी और स्वामी रामानंद जी की मुलाकात हुई और तभी से कबीर दास जी स्वामी रामानंद जी के शिष्य बन गए।
श्री रामानंद स्वामी जी जो भी कबीर दास जी को बताते कबीर दास जी उन बातों का अनुसरण करते और जीवन में आगे बढ़ते चले जाते इसलिए कबीर दास जी स्वामी रामानंद जी के प्रिय शिष्य थे।
इन्होंने कई सारी कविताएं भी लिखी जिसके जरिए उन्होंने समाज को सुधारने का काफी प्रयत्न किया। इन्हें समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। इन्होंने मूर्ति पूजा का खंडन किया इन्होंने जाती पाती कर्मकांड और पाखंड का विरोध किया।
उपसंहार- वास्तव में हम कह सकते हैं कि कबीर दास जी एक ऐसे महान संत थे जिन्होंने समाज में फैली कई बुराइयों को दूर करने का काफी प्रयत्न किया जिस वजह से इनके काफी सारे दुश्मन भी बन गए।
उन्होंने बिना किसी के डरें इन बुराइयों को दूर करना जारी रखा और बहुत ही बेहतरीन कविताएं भी इन्होंने लिखी। हम इन्हें एक समाज सुधारक, एक संत और और एक कवि के रूप में हमेशा जानेंगे और इन्हें कभी भी नहीं भूल पाएंगे।
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