ध्वनि की आत्मकथा पर निबंध
प्रस्तावना- ध्वनि हम सभी मनुष्यों एवं जानवरों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होती है। ध्वनि के जरिए हम एक दूसरे को सुन पाते हैं, उनके द्वारा कई हुई बातों को जानकर हम उनकी बातों पर चल पाते हैं और जीवन को व्यवस्थित ढंग से जी पाते हैं। वास्तव में ध्वनि हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है।
ध्वनि की आत्मकथा- मैं ध्वनि हूं लोग मुझे सुनते हैं दरअसल मैं स्वयं में कुछ भी नहीं हूं लेकिन जब कोई व्यक्ति किसी भी तरह से ध्वनि उत्पन्न करता है तो मैं काफी शक्तिशाली हो जाती हूं। कई लोग जब बातें करते हैं तो ध्वनि के जरिए मुझे सुनते हैं और अपने कार्यों को सही ढंग से कर पाते हैं।
कई लोग इतनी जोर से ध्वनि उत्पन्न करते हैं यानी बोलते हैं की सामने वाले व्यक्ति के कान में झनझनाहट सी होने लगती है। इसके अलावा मुझे पैदा करने के कई अन्य तरीके भी हैं कई लोग कई तरह के वाद यंत्र बजाकर मनोरंजन करते हैं तो कई लोग ऐसे हैं जो इतनी जोर से इन वाद यंत्रों को बजाते हैं कि शोरशराबा लगता है। कई तरह की ध्वनि से तो लोग बैरे भी हो सकते हैं खोजकर्ताओ ने मेरी ऐसी ध्वनि से ही दूर रहने की सलाह दी हैं।
मैं लोगों के लिए काफी फायदेमंद हूं तो काफी नुकसानदायक भी हूं। लोगों को मेरा उपयोग सही तरह से करना चाहिए तभी मैं फायदेमंद हो सकती हूं। लोग मेरा उपयोग कई तरह से करते हैं अलग-अलग लोग मेरा उपयोग अलग-अलग तरह से करते हैं। मैं किसी के लिए फायदेमंद होती हूं तो किसी के लिए नुकसानदायक भी होती हूं।
मेरी ध्वनि से कई लोग प्रसन्न होते हैं और उनका दिन अच्छा गुजरता है लेकिन कई तरह की ध्वनि से लोगों को केवल नुकसान होता है। मैं अपने आप में कुछ भी खुद नहीं करती लेकिन लोग मेरा उपयोग या दुरुपयोग करते हैं वास्तव में लोगों को मेरा सदुपयोग करना चाहिए।
उपसंहार- मैं अपने आपमें बहुत कुछ हूं लेकिन मैं खुद से कुछ भी नहीं करती हूं। लोगों को मेरा सदुपयोग करना आना चाहिए जिससे लोगों को फायदा हो या नुकसान ना हो।
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