मेरा प्रिय साहित्यकार पर निबंध
जीवन में हम सभी कई साहित्यकारों के बारे में जानते हैं।साहित्यकार साहित्य की रचना करते हैं उनके जीवन से उनकी लेखनी से हमें काफी प्रेरणा मिलती है। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी सोच है, अपनी पसंद है किसी को कोई से साहित्यकार पसंद है तो किसी को और कोई। मेरे प्रिय साहित्यकार जयशंकर प्रसाद जी हैं।
दरअसल जब इतिहास में हम साहित्यकारों के बारे में जानते हैं तो जयशंकर प्रसाद जी का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है यह साहित्यकार के अलावा नाटककार भी है इन्होंने कई सारे नाटक, कहानियां, निबंध, उपन्यास, कविताएं लिखी जो कि लोगों को काफी पसंद हैं।
बच्चे, नौजवान इनकी कविता कहानियों से बहुत कुछ सीखते हैं साथ में उनका मनोरंजन भी होता है। इन्होंने हिंदी भाषा में जो अपने लेख लिखें वह बहुत ही प्रशंसा जनक है। इनके कुछ नाटक जैसे कि चंद्रगुप्त, कामना और ध्रुवस्वामिनी आदि हैं।इनकी कहानियां जैसे कि आकाशदीप, आंधी और इंद्रजाल, छाया आदि हैं। इन के उपन्यासों में तितली, कंकाल आदि हैं।
इन सबके अलावा इस महान कवि जयशंकर प्रसाद ने कई और नाटक, उपन्यास, कहानियां, निबंध आदि लिखे हैं जो लोगों के बीच में काफी प्रसिद्ध है।
इनके बारे में
जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी में सन 1889 ई. को हुआ था इनके पिता का नाम श्री बाबू देवी प्रसाद था। बचपन में ही इन्होंने कई सारी परेशानियों का सामना किया था इनके माता-पिता एवं इनके बड़े भाई का देहांत इनके बचपन में ही हो गया था जिस वजह से कई परेशानियों का सामना करते हुए यह जीवन में आगे बढ़े।
पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही आ गई थी इनके छोटे से जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जयशंकर प्रसाद जी छायावाद की श्रेष्ठ कवि हैं।
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