Jab main pehli baar manch par gaya essay
जब हम पहली बार कोई काम करते हैं तो उसका अनुभव कुछ अलग ही होता है । जब मैं पहली बार मंच पर गया तो मेरा अनुभव कुछ ऐसा था जो आज मैं आप सभी के साथ शेयर करना चाहता हूं । जब मैं पहली बार मंच पर गया तो सच में मुझे बहुत अजीब सा लगा ।
वैसे मुझे इससे पहले अपने स्कूलों में दो बार मंच पर आने का मौका मिला था लेकिन पहले मैं बहुत छोटा था और स्कूल के समय मंच पर आने पर मैंने कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दी थी । मैं काफी डर गया था । जब मैं बढ़ा हुआ तो मैं मंच पर गया । इसे ही मैं पहली बार समझता हूं ।
मुझे पता था कि मैं मंच पर सभी के सामने कुछ बोलूंगा तो हो सकता मैं भूल जाऊं इसलिए मैं एक कविता और एक भाषण की तैयारी करके गया था । मैंने अपनी कविता सभी के समक्ष प्रस्तुत की तो तालियां भी बजने लगी लेकिन अंदर से मैं काफी हिल रहा था । पता नहीं मुझे पहली बार मंच पर आकर कुछ बोलने में अजीब सा डर लग रहा था ।
उसके बाद जब मैंने भाषण दिया तो कई बार मैं रुका बहुत कुछ ध्यान भी भूला मुझे यह सब थोड़ा अजीब लग रहा था । पहली बार मंच पर जाकर कुछ बोलना मेरे लिए काफी मुश्किल साबित हुआ । अपने भाषण में मैंने कई बार ऐसा भी किया । एक ही तरह की बातों को मैंने कई बार दोहरा दिया जिस वजह से मेरी परफॉर्मेंस ठीक नहीं रही थी ।
यह सब मेरी घबराहट की वजह से हुआ क्योंकि मैं पहली बार मंच पर गया था तो थोड़ा घबरा सा गया था क्योंकि मैंने इससे पहले इतने सारे लोगों में कभी भी भाषण नहीं दिया था । मेरा पहली बार मंच पर मुझे अच्छा नहीं लगा लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों मैं हमेशा मंच पर जाने की सोचता था क्योंकि मुझे लोगों के बीच में बैठना उनके समक्ष अपनी स्पीक रखना मुझे अच्छा लगने लगा था ।
मैं अगली बार भी इसी मौके की तलाश में था कि कब मुझे मंच पर जाने का मौका मिले । मैंने यह सुना था कि जब भी हम किसी कार्य की बार बार प्रैक्टिस करते हैं तो हम उस में परफेक्ट हो जाते हैं और हमारी परफॉर्मेंस भी बहुत अच्छी होती हैं इसीलिए मैंने अब प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया है । जब भी मैं अगली बार मंच पर जाऊंगा तो मेरी परफॉर्मेंस ठीक रहेगी ।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल है आप इसे जरूर पढ़ें और हमें बताएं कि यह आर्टिकल आपको कितना अच्छा लगा ।
Dewaslot
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