Ramdev mela par nibandh
रामदेवरा मेला अगस्त और सितंबर के बीच मनाया जाता है । दरअसल बाबा रामदेव जी जो कि एक तंवर राजपूत एवं संत थे । जब बाबा रामदेव की मृत्यु हो गई उसके बाद से ही यह रामदेवरा मेला हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।
रामदेवरा मेले में हजारों भक्त दूर-दूर से शामिल होने के लिए आते हैं । दूर-दूर से बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं और रात भर भजन-कीर्तन करते हैं । रामदेवरा मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं । इस रामदेवरा मेले में सभी धर्मों के लोग आते हैं ।
यहां तक की मुसलमान भी इस रामदेवरा मेले में आते हैं और बाबा रामदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । रामदेवरा मंदिर में आरती का समय 5:00 बजे 9:00 7:00 बजे 10:00 बजे होता है ।
बाबा रामदेव जी के बारे में एक कथा काफी प्रसिद्ध है । दरअसल बाबा रामदेव जी के पिता राजा अजमल थे । एक बार राजा अजमल द्वारका गए और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि उन्हें उनके जैसे ही दो पुत्र दें तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कुछ समय बाद राजा अजमल के 2 पुत्र हुए ।उनमें से एक छोटे पुत्र रामदेव थे ।
रामदेव काफी चमत्कारी शक्तियों के लिए जाने जाते थे । एक समय की बात है कि 5 पीर कुछ मुसलमानो सहित बाबा रामदेव की परीक्षा लेने के लिए आए थे तब बाबा रामदेव ने उनका स्वागत किया ।
जब भोजन का समय आया तब मेहमानों ने रामदेव से कहां कि हम केवल अपने बर्तनों में ही भोजन करते हैं जो हम मुल्तान में छोड़ आए हैं तब बाबा रामदेव ने अपने दाहिना हाथ को आगे बढ़ाया और कुछ ही पल में सभी बर्तन उनके नजदीक आ गए । उनका यह करिश्मा देखकर मुल्तान के सभी पीरो ने उन्हें आशीर्वाद दिया और यह घोषणा की कि वह रामशपीर के नाम से भी जाने जाएंगे ।
तब से बाबा रामदेव को मुस्लिम धर्म के लोग भी काफी सम्मान देते हैं और रामदेवरा मेला में शामिल होते हैं ।
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