बूढ़े बैल की आत्मकथा
मैं एक बूढ़ा बैल हूं । जब मैं जवान था तब से लेकर अभी तक मैंने अपने जीवन में काफी मेहनत की है । मेरे जीवन की आत्मकथा आज मैं आप सभी को सुनाने वाला हूं । मैंने एक घर में जन्म लिया था । मेरे साथ में मेरा एक छोटा भाई भी था ।
हम दोनों साथ रहते थे , साथ में ही मस्ती किया करते थे लेकिन कुछ समय बाद मेरे छोटे भाई का देहांत हो गया । मैं धीरे-धीरे बड़ा होने लगा । मैं अपनी मस्ती में काफी खुश था लेकिन मुझे पता नहीं था कि बड़ा होकर मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा । जब मैं बड़ा हुआ तो मुझे एक किसान को बेच दिया गया ।
किसान मुझे एक झोपड़ी में बांध देता था और मुझे खाने की कोई कमी नहीं होने देता था । मेरे साथ में उस झोपड़ी में एक और बैल था । हम दोनों बैलों की अच्छी दोस्ती बहुत ही कम समय में हो गई थी । मैं पहली बार झोपड़ी में आया था तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे यहां पर आकर क्या करना होगा ।
अगले दिन मैंने देखा कि किसान हम दोनों को एक साथ ले जा रहा था । उसने हम दोनों को एक गाड़ी के आगे बांध दिया और फिर उस गाड़ी पर सवार होकर कुछ सामान को गाड़ी पर लाद कर आगे बढ़ने लगा । मुझे यह सब थोड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि मैं पहली बार ही किसी गाड़ी को आगे बढ़ाने में मदद कर रहा था ।
मुझे थोड़ा वजन लग रहा था लेकिन मैं कर भी क्या सकता था । अब मेरा यही कार्य हो चुका था और कार्य करना मेरी मजबूरी थी । ज्यादातर किसान दोपहर के समय हम से खूब काम करवाता था । एक स्थान से दूसरे स्थान पर हम दोनों के साथ जाना , खेतों मे हल हांकना यह सब हम दोनों की मदद से ही किसान करता था ।
धीरे-धीरे हम दोनों बैल बूढ़े होने लगे अब मुझसे बिल्कुल यह कार्य नहीं होता था लेकिन किसान फिर भी मुझसे अपना काम करवाता था । कुछ समय बाद किसान को समझ आया कि यह बैल बूढ़ा हो गया है उसने मुझे अपने कार्य से आजाद कर दिया । किसान दयालु था इसलिए उसने उसी झोपड़ी में मुझे आश्रय दिया ।
मैंने अपने जीवन में काफी मेहनत की और मुझे काफी खुशी है कि मुझे ऐसे किसान का सहयोग मिला यही है मेरे जीवन की आत्मकथा ।
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Nice 🙂
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