Autobiography of river in hindi
मैं नदी हूं , मैं लोगों को जल उपलब्ध कराती हूं , लोग मेरे दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं और बहुत ही प्रसन्न होते हैं । बहुत से लोग जब मेरे पास आते हैं तो मुझ में स्नान करते हैं , मेरे किनारे पर पूजा पाठ करते हैं और अपने दिन भर की थकान वह मेरे पास आकर दूर करते हैं ।
मेरे आस पास बहुत सारे पेड़ पौधे हैं जिन पर बहुत सारे पक्षी बैठे रहते हैं । वह पंक्षी अपनी मधुर ध्वनि से मेरा मनोरंजन करते हैं । मैं बहुत ही खुश हूं क्योंकि मैं लोगों को पानी उपलब्ध करवाती हूं । लोग स्नान आदि करके मेरी प्रशंसा करते हैं । मैं पहले छोटी थी लेकिन मेरा आकार धीरे-धीरे विशाल होता जा रहा है ।
बहुत से नाव एक मेरी नदी के किनारे लोगों को नदी में सैर कराने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं । उनका कार्य ही है लोगों को मेरी सहर करवाना । नावे मेरी सैर करवा कर कुछ रुपए कमा लेते हैं । मेरे अंदर बहुत सारे जीव जंतु भी रहते हैं मछलियां , मेंढक और मगरमच्छ मेरे अंदर ही रहते हैं । बहुत से लोग जो तैरना जानते हैं वह मेरे पास आकर बहुत ही खुशी महसूस करते हैं ।
मेरे चारों ओर हरी हरी दूबा लगी हुई है जिस पर टहलने में लोगों को बहुत ही आनंद महसूस होता है । जब छुट्टियों के दिन होते हैं तो अक्सर लोग सुबह से शाम तक मेरे चारों ओर देखे जाते हैं । लोग अपने परिवार के साथ मेरे किनारे पर आते हैं और लोग मुझ में तैरने का आनंद भी लेते हैं । वास्तव में लोगों को खुश देखते हुए मुझे भी काफी खुशी होती है ।
मेरा लक्ष्य यही है कि मैं लोगों को जल उपलब्ध कराऊ और जल से संबंधित हर एक समस्या लोगों की दूर करूं लेकिन लोगों का भी कर्तव्य है कि वह स्वच्छता बनाए रखें । आज हम देखें तो बहुत से लोग ऐसे हैं जो नदी में पॉलिथीन हानिकारक पदार्थ आदि प्रवाहित कर देते हैं जिससे मुझे नुकसान होता है और मुझ में उपस्थित जीव-जंतुओं को भी नुकसान होता है ।
मनुष्य को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि वो मेरे अंदर कूड़ा कचरा आदि प्रवाहित ना करें जिससे मैं भी प्रदूषण से बच सकु और जीव जंतु की भी रक्षा हो यही है मेरे जीवन की आत्मकथा ।
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