Friday, 12 February 2021

रबर की आत्मकथा Rubber ki atmakatha

Rubber ki atmakatha

मैं एक रबड़ हूं , मेरे जीवन की आत्मकथा वास्तव में लोगों को सोचने के लिए मजबूर करती है । मेरा जन्म रबड़ की फैक्ट्री में हुआ काफी इंतजार करने के बाद में दुकानों में भेजी गई ।दुकानों में तरह-तरह की किताबें पेन , रबड़ बच्चों की स्कूल के बैग सभी सामान रखे रहते थे । 

मैं दुकान में रखी काफी बोर होती थी तभी एक दिन एक बच्चा अपने पिता के साथ उस दुकान पर आया उसने मुझ रबड़ को खरीद लिया । मैं काफी खुश थी क्योंकि मैं समझ रही थी कि मुझे अब एक नया घर भी मिलेगा । मैं जब उस बच्चे के घर पहुंची तो मैंने चारों और देखा कि बहुत ही अच्छा घर है । उस बच्चे ने मुझे अपने ड्राम बॉक्स में रख दिया था । 

अब मैं इंतजार कर रही थी कि कब वह मुझे उस ड्राम बॉक्स में से बाहर निकाले । जब सुबह हुई तो मुझे तरह-तरह की आवाजें सुनाई देने लगी मैं समझ रही थी कि जरूर ही यह बच्चा कहीं जाने वाला है तब कुछ देर बाद उस बच्चे ने उस बॉक्स को खोला तब मैं समझ पाई कि अब मैं किसी ऐसे स्थान पर आ चुकी हूं जहां पर बहुत सारे बच्चे हैं । 

उनके हाथों में स्कूल की किताबें , स्कूल की बैग हैं तब वहां की बातचीत सुनकर मैं समझ चुकी थी कि वह स्कूल है । मुझे काफी अच्छा लगा क्योंकि मैं वहां पर अपनी बिछड़ी हुई साथियों से मिल पा रही थी । वहां पर मेरी जैसी कई रबड़ थी । बच्चा अपनी कॉपी में कुछ भी लिखता तो मेरी मदद से वह उस लिखे हुए को हटा भी देता था । 

मैं दोपहर को उस बच्चे के साथ अपने घर आ जाती थी और फिर वह बच्चा मुझे अपने बैग में रखकर एक कोने में रख देता था । शाम के समय में जब पढ़ाई करता था तब मुझे अपने बॉक्स में से निकालता था मुझे काफी अच्छा लगता था । मैं बस यही सोचती थी कि कब सुबह होगी कब मैं स्कूल जाऊंगी और मैं अपने साथियों से मिलूंगी । 

धीरे-धीरे समय गुजरता गया और मेरी आयु कम होती चली गई । अब मैं समझ गई थी कि कुछ ही दिन बाद ही मेरा अस्तित्व खत्म हो जाएगा लेकिन मैंने इस बच्चे के लिए जो किया उससे मैं काफी खुश थी । वास्तव में मेरी तरह हर एक जीव जंतु का अपना एक महत्व होता है । हम सभी को उस महत्व को समझना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए । 

दोस्तों रबड़ की आत्मकथा पर मेरे द्वारा लिखा यह लेख आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद ।

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