Thursday, 18 February 2021

Hawa ki atmakatha

Hawa ki atmakatha

मैं हवा हूं , मैं हमेशा चारों ओर के वातावरण में बहती रहती हूं  । मेरा कार्य यही है मैं प्रत्येक जीव जंतु मनुष्य सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हवा हर किसी के लिए चाहिए होती है । हर कोई मेरी हवा का एक रुप ऑक्सीजन स्वास के रूप में अंदर लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं । मैं कई प्रकार की होती हूं । 


मैं जब तेजी से चलती हूं तो मनुष्य जीव जंतुओं का कई तरह से नुकसान भी हो जाता है ।जानवरों के जो छोटे-मोटे घर होते हैं वह मेरी हवा के प्रवाह के साथ ही उड़ जाते हैं । बहुत से मनुष्य के घर भी मेरे प्रभाव के साथ उड़ते नजर आते हैं । मेरी गति बहुत ही तेज होती है । मेरी गति के आगे किसी की गति नहीं चलती । 

मैं अन्य नामों से भी जानी जाती हैं । कोई मुझे वायु कहता है तो कोई मुझे समीर और मारुत कहता है तो कोई मुझे पवन भी कहता है । लोग मुझे पवन देवता के रूप में भी जानते हैं । मैं प्रत्येक जीव जंतु के लिए महत्वपूर्ण हूं और प्रत्येक जीव जंतु के लिए ही कार्य करती हूं । 

मैं हवा अधिकतर ऐसे स्थानों में ज्यादा बहती हुई दिखती हूं जहां पर जंगल हो या पेड़ पौधे अधिक हो । ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पर ज्यादातर फसलों की पैदावार सब्जियों की पैदावार होती है वहां पर भी मैं ज्यादा बहती हूं लेकिन शहरी क्षेत्रों में चारों और पेड़ पौधे बहुत ही कम देखने को मिलते हैं इसलिए मैं वहां पर ज्यादातर तेज रफ्तार के साथ नहीं बहती । मैं वहां पर धीमी धीमी रफ्तार के साथ रहती हूं । 

मुझे तेजी से रहना पसंद है इसलिए मैं ग्रामीण क्षेत्रों को या जंगलों को अधिकतर पसंद करती हूं । मेरे साथ कई तरह के धूल मिट्टी के कण भी बहते हैं । जब तेज हवा चलती है तो बहुत सारे लोग भी डर जाते हैं क्योंकि तेज हवा का झोका बहुत ही विशालकाय होता है जो बहुत से लोगों को काफी डरा देता है । 

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