गोदावरी नदी की आत्मकथा
गोदावरी नदी की आत्मकथा
मैं गोदावरी नदी हूं , मैं काफी प्रसिद्ध नदी हूं और विश्व के प्रत्येक मनुष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण हूं । मेरा जल पवित्र है मेरे तट के आसपास कई तरह की पेड़ पौधे हैं जिन पर पक्षि निवास करते हैं । मैं लोगों के लिए काफी महत्व रखती हूं ।
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्री रामचंद्र जी थे तब उनके पिता दशरथ जी का देहांत हो गया था । जब भरत जी श्री रामचंद्र जी से जंगल मिलने के लिए आए और उन्होंने अपने पिता के देहांत के बारे में बताया तो श्री रामचंद्र जी ने गोदावरी तट पर ही उनका पिंडदान किया था तब से मैं काफी प्रसिद्ध हूं और ऐसा भी माना जाता है कि मेरे तटपर जो भी आता है और अपनी मनोकामना रखता है मैं उसकी मनोकामना पूरी करती हूं ।
मैं भारत देश के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के हर एक देश के निवासी के लिए महत्व रखती हूं । हर कोई मेरे दर्शन करने के लिए देश-विदेश से आता है । मेरे अंदर कई तरह की मछलियां , जीव जंतु आदि निवास करते हैं । मेरे अंदर ही उनका घर है । समय-समय पर लोग मेरे तटपर भारी मात्रा में आते हैं और बहुत ही खुशी का अनुभव करते हैं । बहुत से लोग समय-समय पर मेरे तटपर जब भ्रमण करने के लिए आते हैं तो वह काफी खुशी का अनुभव करते हैं ।
भारत में मेरे जैसी कई नदियां हैं जैसे कि गंगा , यमुना , सरस्वती इन नदियों का भी काफी महत्व बताया गया है । मेरा भी काफी ज्यादा महत्व साहित्य में बताया गया है । जब कोई मेरी प्रशंसा करता है तो मुझे काफी खुशी होती है कि मैं लोगों को जल प्रदान करती हूं । लोग दूर से आते हैं तो मेरे जल में स्नान करते हैं । कई तरह का पूजा पाठ भी मेरे किनारे पर किया जाता है । लोग मुझे देवी का अवतार भी समझते हैं इसलिए जब भी कोई व्यक्ति मेरे किनारे पर आकर अपनी इच्छा जाहिर करता है तो मैं उसकी इच्छा को पूरी जरूर करती हूं ।
यही है मेरे जीवन की आत्मकथा । आप मुझे जरूर बताएं कि मेरी यह आत्मकथा आपको कैसी लगी आप हमारे इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें धन्यवाद ।
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