Bansuri ki atmakatha in hindi
आज मैं आपके लिए लाया हूं बांसुरी की आत्मकथा । बांसुरी जो कृष्ण भगवान को बजाना बहुत ही पसंद था । अक्सर हम श्री कृष्ण की कई तस्वीरें देखते हैं । उनमें हम उन्हें बांसुरी बजाते हुए भी देखते हैं ।
आज हम पढ़ेंगे इसी बांसुरी की काल्पनिक आत्मकथा तो चलिए पढ़ते हैं । आज के इस आर्टिकल को मैं एक बांसुरी हु मैं इसलिए खुश हूं क्योंकि मेरा नाम श्री कृष्ण भगवान के साथ जोड़ा जाता है । श्री कृष्ण भगवान मुझे ही बजाना पसंद करते थे अक्सर आजकल के लोग भी मुझे बजाना पसंद करते हैं ।
ज्यादातर छोटे-छोटे बच्चों को मैं बहुत ही पसंद आती हूं । जब भी वह मुझे बाजार में देखते हैं तो अपने माता-पिता से वह मुझे खरीद लें । मैं बांसुरी बहुत ही सुरीली आवाज निकालती हूं । जब भी कोई मुझे अपने दोनों हाथों में पकड़ कर अपने होंठों के बीच में दबाकर बजाता है तो चारों ओर का वातावरण बहुत ही खुशहाल साफ नजर आता है और मुझ में से सुरीली सी धुन निकलती है जो हर किसी को खुश कर देती है ।
पहले जब श्रीकृष्ण मुझे बजाते थे तब चारों ओर का वातावरण मन मुक्त हो जाता था । सुनने वाली गोपी बांसुरी की धुन में खो जाते थे वह अपनी सुध बुध खो जाते थे । वास्तव में मुझे यही गर्व है कि मुझे श्री कृष्ण के साथ जोड़ा जाता है । जब भी रक्षाबंधन का त्यौहार आता है तब बाजारों में मैं ज्यादातर दुकानों पर मिलती हूं और बहुत सारे लोग मुझ जैसी बांसुरिया को खरीदने के लिए आते हैं ।
कुछ लोग मुझे एक दूसरे को गिफ्ट भी देते हैं । यह सब मेरा जीवन है मेरे जीवन की आत्मकथा बस यही है ।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा बांसुरी की आत्मकथा आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएं और हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और सब्सक्राइब करें धन्यवाद ।
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