Essay on mere jeevan ka lakshya judge in hindi
मेरे जीवन का लक्ष्य शुरू से ही एक जज यानी कि न्यायाधीश बनना है । एक जज बनकर में अपने सपनों को पूरा तो करूंगा ही साथ में मैं उन लोगों के साथ जरूर न्याय करूंगा जो निर्दोष हैं । जब मैं छोटा था तभी से मैंने अपने जीवन का लक्ष्य न्यायाधीश बनना तय कर लिया था । दरअसल हमारे रिलेशन में एक अंकल जी थे जो न्यायधीश थे ।
जब मैं उन्हें देखता था तब मैं उनसे काफी इंप्रेस होता था , उनके कार्य से भी काफी प्रभावित होता था । मैं हमेशा सोचता था कि काश मैं इनकी तरह एक न्यायाधीश होता लेकिन फिर मैं सोचता था कि अभी तो मैं बच्चा हूं । मैं यह सोचता था की अभी तो मेरे पास एक मौका है मैं मेहनत करूं तो बड़ा होकर एक न्यायाधीश जरूर बन सकता हूं ।
जब मैंने अपना यह विचार अपने पिताजी के समक्ष प्रस्तुत किया तब मेरे पिता ने मुझसे कहा कि तू यदि अभी से अच्छी तैयारी करना शुरू कर दे तो बड़ा होकर एक सफल न्यायाधीश जरूर बन सकता है । जब मेरे पिता ने मेरा होसला बढ़ाया तबसे मैंने एक न्यायाधीश बनने की तैयारी शुरू कर दी थी । इस कार्य में मेरे पिताजी ने मेरी पूरी तरह से मदद की थी । जब मैंने अपना लक्ष्य एक न्यायाधीश बनना तय कर लिया था तब पहले से बेहतर मेरा मन पढ़ाई में लगने लगा था ।
अब मुझे काफी खुशी होने लगी । मैं जीवन में अब पहले इसकी अपेक्षा काफी खुश रहता था । अब धीरे-धीरे में बड़ा हो चुका हूं मैंने जज की पढ़ाई करना शुरू कर दिया है । मैं अपने परिवार से भी दूर रहता हूं लेकिन मेरे पिताजी हमेशा मुझसे संपर्क में रहते हैं । वह रोजाना मुझसे फोन पर बात करते हैं , मेरी हर समस्या को दूर करने की कोशिश करते हैं ।
मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचाने में हर तरह से मदद कर रहे हैं । मेरे पिताजी मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचाकर , एक सफल न्यायाधीश बनाकर लोगों के साथ न्याय होते हुए देखना चाहते है । मेरे पिता का मुझ पर बड़ा विश्वास है की मैं न्यायाधीश बनकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाऊंगा ।
0 comments:
Post a Comment