yadi doordarshan na hota toh essay in hindi
यदि दूरदर्शन ना होता तो क्या होता, यह एक सोचने वाली बात है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आजकल सबसे ज्यादा लोग दूरदर्शन देखते हैं। दूरदर्शन ना होता तो लोगों के जीवन में एक उदासीनता सी होती क्योंकि दूरदर्शन मनोरंजन का एक साधन है।
मनोरंजन के साधन के अभाव में लोगों के जीवन में एक नीरसता सी सी होती, लोग दूरदर्शन के बगैर केवल रेडियो पर आवाज ही सुन पाते, वह लोगों को देखते हुए नहीं सुन पाते। दूरदर्शन नहीं होता तो बच्चों, बूढ़ों, नौजवानों के मन में एक खुशी नहीं होती और उनके जीवन में एक बोरियत होती।
दूरदर्शन के बगैर लोग कई तरह के समाचारों, सीरियल, मूवी आदि को देखते हुए नहीं सुन पाते और मनोरंजन के केवल पुराने साधनों को ही अपने मनोरंजन का प्रमुख साधन समझते। दूरदर्शन के बगैर हम बाहर के लोगो, उनका रहन-सहन, उनकी वेशभूषा आदि को नहीं देख पाते और अपने अंदर कुछ बदलाव नहीं ला पाते।
हम सभी दूरदर्शन पर कई ऐसी धार्मिक फिल्में एवं धार्मिक सीरियल भी देखते हैं जिन से हमें प्रेरणा मिलती है और हम आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं लेकिन जब दूरदर्शन ही ना होता तो हम ऐसी प्रेरणा कहां से लेते। हम पुराने जमाने की तरह जीवन को गुजारते जाते और नई टेक्नोलॉजी के साथ नहीं चल पाते। हम केवल अख़बारों और रेडियो के जरिए ही अपना मनोरंजन करते, टीवी के बगैर बच्चों का भी मन नहीं लग पाता।
छोटे बच्चे भी जब रोते हैं तो वह दूरदर्शन को देखकर काफी खुश हो जाते हैं और चुपचाप दूरदर्शन को देखते रहते हैं लेकिन यदि दूरदर्शन ही नहीं होता तो ऐसा कुछ भी नहीं होता। आजकल हम देखें तो बच्चे दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई भी करते हैं लेकिन दूरदर्शन नहीं होता तो पढ़ाई करने का एक तरीका बच्चों के पास नहीं होता।
दूरदर्शन के बगैर कई तरह के खेल जैसे कि क्रिकेट, हॉकी आदि को भी बच्चे नहीं देख पाते, वह केवल रेडियो पर ही उन खेलों को सुन पाते। वास्तव में यदि दूरदर्शन नहीं होता तो हमारे जीवन में एक उदासीनता होती। हम आज की तरह जीवन नहीं जी पाते।
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