अस्पताल में एक घंटा निबंध इन हिंदी
अस्पताल में एक घंटा जब मैंने गुजारा तो मुझे ऐसा लगा कि मैं जीवन में दुखी लोगों के बीच में आ गया हूं। दरअसल एक दिन जब मैं घर से अपने ऑफिस जा रहा था तभी मेरे मोबाइल पर हमारे एक रिश्तेदार का फोन आया उन्होंने मुझे सूचना दी कि अस्पताल में एक व्यक्ति भर्ती है उसको देखने जाना है सभी उनकी बात से सहमत थे।
An hour in hospital essay in hindiमैं सीधे उनके घर पर गया घर पर मैं अपनी मोटरसाइकिल पर उन्हें बिठाकर सीधे हॉस्पिटल चला गया हॉस्पिटल में मैंने देखा कि हॉस्पिटल के बाहर बहुत से लोग खड़े हुए हैं बहुत ही कम लोग हैं ऐसे हैं जिनके चेहरे पर मुस्कान थी सभी लोगों के चेहरे बिगड़ रहे थे। मैं अंदर गया तो अस्पताल में मैंने देखा कि ज्यादातर लोग पलंग पर ही लेटे हुए हैं किसी को बुखार है तो किसी का तेज सर दर्द कर रहा है, कोई पैरों में लगी चोट की वजह से चिल्ला रहा है चारों ओर बुरा माहौल था।
मैं कभी भी अस्पताल में ज्यादा समय तक नहीं रोका लेकिन उस दिन मुझे करीब 1 घंटे अस्पताल में रुकना पड़ा। अस्पताल में इस तरह के कई दृश्य हमने देखे जिन्हें देखकर मुझे काफी बुरा लगा मैं सोच रहा था कि हे ईश्वर मुझे कभी भी अस्पताल में ना आना पड़े क्योंकि मैं इस तरह की परिस्थिति से नहीं गुजरना चाहता था।
मैं अस्पताल मैं अंदर की ओर गया तो मैंने देखा कि हम जिनको अस्पताल में मिलने के लिए आए हैं वह भी पलंग पर लेटे हुए हैं उनके पैर में चोट लगी थी दरअसल उनका मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट हो गया था। मेरे साथ में जो आए हुए थे उन्होंने उनके सिर पर हाथ रखा और मुझे भी यह दृश्य देखकर थोड़ी खुशी हुई मैं फिर अस्पताल में घर की तरफ आया मैंने अस्पताल में कई दृश्य देखे।
मैंने देखा कि एक अस्पताल की एंबुलेंस आई हुई है जिसमें एक महिला को एंबुलेंस से लाया गया था महिला तेजी से चिल्ला रही थी दरअसल उसका भी एक्सीडेंट हुआ था। आसपास के लोग बातें कर रहे थे कि उस महिला को रास्ते में चलते हुए किसी कार चलाने वाले ने पीछे से ठोक दिया था जिस वजह से उसकी इतनी बुरी स्थिति हुई थी।
फिर उस महिला को अस्पताल के अंदर ले जाया गया उसका उपचार किया गया तब कुछ देर बाद ही उसके चिल्लाने की आवाज बंद हो पाई। अस्पताल में मैंने ऐसे कई भीवत्स्य दृश्य देखें जिन्हें देखकर मुझे काफी दुख हुआ फिर 1 घंटे बाद हम दोनों अस्पताल से वापस आ गए। अस्पताल का यह 1 घंटे का समय मुझे काफी दुख दे रहा था क्योंकि मैंने अस्पताल में कई दुखी लोगों को देखा हुआ था।
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