Friday, 11 December 2020

महानगरों में आवास की समस्या पर निबन्ध

महानगरों में आवास की समस्या पर निबंध

महानगरों में आवास की समस्या काफी अधिक देखने को मिलती है क्योंकि गांव की ज्यादातर आबादी आजकल महानगरों की ओर पलायन करती हुई देखी जाती है क्योंकि महानगरों में रोजगार के कई अन्य साधन भी लोगों को उपलब्ध हो पाते हैं।

 कई लोग अपने दो वक्त के गुजारे के लिए महानगरों में रहने के लिए आते हैं लेकिन महानगरों में आवास की काफी समस्या रहती है। एक छोटा सा कमरा काफी ज्यादा महंगा मिलता है जिसमें ही लोगों को अपने दिन गुजारने पड़ते हैं। महानगरों में अक्सर देखने को मिलता है कि घर बहुत ही पास पास में होते हैं जिससे घर की छत से दूसरे की छत पर आया जा सकता है गलियां भी कहीं बहुत ही सक्रिय होती हैं यह सब आवास की समस्या की वजह से ही होता है।


लोग यहां कहां रहने के लिए अपना बसेरा बना लेते हैं जो लोग गांव से आते हैं वह अपनी सस्ते दामों में जमीन बेचकर भारी भरकम कीमत पर रहने के लिए शहरों में एक छोटी सी जगह खरीदते हैं। शहरों में जमीन की ज्यादा कीमत होने के कारण ग्रामीण इलाकों से आए हुए लोगों को कई परेशानियां झेलना पड़ती हैं, उन्हें अपनी जमीन बेचना पड़ती है तब जाकर बड़ी मुश्किल से वह भारी-भरकम कीमत पर अपने लिए घर खरीद पाते हैं।


कई लोग जो अपनी नौकरी या बिजनेस के वजह से किराए के मकानों में रहते हैं उनके लिए भी आवास की समस्या होती है। एक छोटा सा कमरा जिसका उन्हें बहुत ही ज्यादा किराया देना पड़ता है किराए के कमरे का खर्चा ही इतना होता है कि उन्हें उनकी सैलरी से बहुत से रुपए मकान मालिकों को देने पड़ते हैं।


 महानगरों में गांव की अपेक्षा काफी महंगाई भी देखने को मिलती है जिस वजह से आवास की समस्या भी लोगों के सामने दिखाई देती है। महानगरों में अक्सर लोगों को रहने की जगह भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है जिस वजह से लोग इन छोटी-छोटी जगहों पर सही तरह से भी नहीं रह पाते हैं।


संयुक्त परिवार को महानगरों में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्मियों के दिनों में तो महानगरों में इन आवासों में और भी ज्यादा समस्याएं खड़ी हो जाती हैं गर्मियों में जब आप से घर में रहा नहीं जाता, लोगों को मजबूरी में घर के छोटे कमरे में रहना पड़ता है लोग अपने पूरे परिवार के साथ छत पर नहीं सो पाते जिस वजह से कई बार लोगों को आवास की समस्या की वजह से गर्मी को झेलना पड़ता है।


वास्तव में आवास की समस्या महानगरों में काफी अधिक देखने को मिलती है कई लोग तो ऐसे होते हैं जो जिंदगी भर महानगरों में कामकाज करते हैं लेकिन वह एक छोटा सा मकान नहीं बना पाते क्योंकि महानगरों में खर्चा बहुत ही ज्यादा होता है।


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1 comment:

  1. dear bhiya oor di i just wanna say that or bhi taklife hoti he sirf rehne ke ger kimat ya choti jagah hi nahi taklif hoti ha kisi se baat karo jo gav se shehe me shift hua hai your aartical is good but you can right more better

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