Essay on guru ki mahima in hindi
प्राचीन काल से ही हम सभी गुरु की महिमा के बारे में जानते हुए आए हैं। गुरु हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं जो हमें शिक्षा देते हैं। कहते हैं कि गुरु के बगैर इंसान पशु के समान होता है। हर किसी को अपने गुरु पर विश्वास रखना चाहिए, गुरु की हर तरह से सेवा करनी चाहिए।
कहते हैं गुरु भगवान से भी बढ़कर होता है क्योंकि गुरु हमें सही रास्ते पर चलना सिखाते है, सही और गलत की पहचान करना सिखाते हैं, जीवन की कई समस्याओं का किस तरह से निवारण हम कर सकते हैं वह सभी तौर तरीके हमें गुरु ही सिखाते हैं। वास्तव में गुरु की महिमा अनंत है। प्राचीन काल से लेकर अब तक गुरु का महत्व समझा जाता है। आज भी लोग गुरु का बहुत ज्यादा महत्व समझते हैं और गुरु का सम्मान करते हैं।
प्राचीन समय के कुछ गुरुओं के बारे में- प्राचीन समय से ही हम गुरु के बारे में जानते हुए आए हैं जिन्होंने अपने शिष्यों को विद्या का ज्ञान कराकर उनको जीवन में आगे बढ़ने में मदद की। महर्षि वाल्मीकि जी जिन्होंने रामायण नाम के ग्रंथ की रचना की। महर्षि वाल्मीकि जी ने लव कुश को शिक्षा दी थी। लव कुश को महर्षि वाल्मीकि जी ने अपना सब कुछ सिखाया, उनके बताए हुए मार्ग पर वह दोनों चले।
लव कुश ने गुरु की हर एक आज्ञा का पालन किया। इसी तरह से भगवान श्री रामचंद्र जी जिन्होंने विश्वामित्र जी से शिक्षा प्राप्त की थी और विश्वामित्र जी के बताए हुए मार्ग पर वह चले। उन्होंने अपने गुरु विश्वामित्र जी की आज्ञा का पालन किया क्योंकि भगवान श्रीराम भी अपने गुरु की महिमा को समझते थे, वह भी समझते थे कि इस दुनिया में गुरु से बढ़कर कोई नहीं होता।
किसी ने खूब कहा है
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
यानी गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही शिव शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। हर कोई गुरु को नमस्कार करता है हम सभी को गुरु की महिमा को समझकर गुरु का आदर सत्कार करना चाहिए।
दोस्तों हमारे द्वारा लिखा यह आरतीकल Essay on guru ki mahima in hindiआप अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले और हमें सब्सक्राइब भी करें।
0 comments:
Post a Comment