Thursday, 22 October 2020

यदि मे पुस्तक होता तो निबंध yadi me pustak hota essay in hindi

yadi me pustak hota essay in hindi

यदि मैं पुस्तक होता तो कितना अच्छा होता मैं अन्य पुस्तकों की तरह दूसरों को ज्ञान प्रदान करने वाला कार्य करता। मेरी वजह से लोग ज्ञान प्राप्त करके जीवन में आगे बढ़ते। यदि मैं पुस्तक होता तो हमेशा सिर्फ दूसरों के लिए ही अपना जीवन जीता, कभी भी में स्वार्थी ना बनता। 


मैं पुस्तक होता तो मैं भी पुस्तकों की दुकान पर अन्य पुस्तकों के साथ रखा होता और यह सोचता कि काश मुझे कोई खरीदने आ जाए और मैं उसके घर जाऊं। लोग मुझे पढे और मेरे द्वारा कुछ ज्ञान प्राप्त करें, मुझे दुकान में रहते रहते काफी इंतजार करना पड़ता हैं। कई दिनों बाद मैं भी किसी के साथ चला जाता और फिर उस व्यक्ति की शिक्षा को बढ़ाने में मदद करता। 

यदि मैं पुस्तक होता तो सच में मुझे बहुत ही खुशी होती क्योंकि बच्चे सुबह सुबह पुस्तकों की ओर ही ध्यान देते हैं। यदि वह सुबह-सुबह पुस्तके नहीं पढ़ते तो उनके माता-पिता माता-पिता तो पुस्तके नहीं पढ़ते तो उनके माता-पिता उन्हें पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। वह कहते हैं कि पुस्तक ज्ञान देती है, पुस्तक पढ़ने से तुम जीवन में आगे बढ़ोगे, सफलता की बुलंदियों को छुओगे, अपने लक्ष्य तक पहुंच पाओगे। माता-पिता की इस तरह की इस तरह की बातों की वजह से बच्चों को सुबह सुबह मुझे पढ़ना पड़ता हैं। 

वह अपने स्कूल मेरे साथ ही जाते और हमेशा अपने साथ मुझे रखते तब मुझे काफी खुशी का अनुभव होता। स्कूल के अध्यापक भी मुझ किताब को पढ़ने की सलाह देते तो मुझे काफी खुशी होती। छात्र हमेशा मुझ किताब को साल भर तक पढ़ते है, मुझे सुबह शाम पढते हैं लेकिन साल भर बाद वह छुट्टियों के दिनों में मुझे एक तरफ रख देते हैं 

तब मैं भी अन्य पुस्तकों की तरह उस बच्चे के बैग में रखी रखी बोर हो जाती हु लेकिन कुछ महीनों के इंतजार के बाद फिर मुझे लगता कि अब वह बच्चा मेरे द्वारा ही पढ़ाई करेगा लेकिन वह मुझे एक कोने में रखता है और बाजार से नई नई किताबें पढ़ने के लिए खरीद कर लाता हैं लेकिन मुझ किताबों से घर का दूसरा बच्चा पढ़ाई करने लगता हैं। 

मेरे चेहरे पर फिर से मुस्कान आ जाती हैं वास्तव में यदि मैं किताब होता तो मुझे काफी खुशी होती क्योंकि मैं सिर्फ दूसरों के लिए जीवन जीता। आजकल हम देख रहे हैं कि मनुष्य दिन प्रतिदिन स्वार्थी होता जा रहा है लेकिन मैं किताब होता तो सिर्फ दूसरों के लिए ही जीवन जीता, उनको ज्ञान प्रदान करता।

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