Friday, 24 July 2020

मेरा शौक क्रिकेट पर निबंध my hobby cricket essay in hindi

मेरा शौक क्रिकेट पर निबंध

हर किसी का जीवन में अपना अपना शौक होता है किसी को कोई सा खेल खेलना पसंद आता है तो किसी को कोई दूसरा खेल खेलना पसंद आता है इसी तरह मेरा भी शौक क्रिकेट खेलना है। हम सभी देखें तो भारत देश में ज्यादातर नौजवान क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं ऐसे नौजवानों में मैं भी हूं।

अब क्रिकेट मुझे सबसे अच्छा क्यों लगता है? मुझे ऐसे खेलने का शौक क्यों है? यह तो मैं नहीं जानता लेकिन इतना जरूर है कि जब भी मैं किसी को क्रिकेट खेलते हुए देखता हूं तो अकस्मात ही मेरा मन उन लोगों के साथ क्रिकेट खेलने का करने लगता है। मेरा क्रिकेट खेलने का शौक बचपन से ही है बचपन में जब मैं स्कूल में पढ़ता था तभी से मैं क्रिकेट खेलता था।

स्कूल में अन्य खेलों की प्रतियोगिताओं के साथ में क्रिकेट प्रतियोगिता भी रखी जाती थी लेकिन मैं भले ही किसी दूसरे खेल प्रतियोगिता में हिस्सा ना लूं लेकिन क्रिकेट की प्रतियोगिता में में जरूर हिस्सा लेता था और जब मैं क्रिकेट खेलता था तो बहुत ही जुनून के साथ क्रिकेट खेलता था।

मेरे दोस्त और अध्यापक मुझे जब क्रिकेट खेलते हुए देखते थे तो वह मुझसे काफी खुश हो जाते थे क्योंकि मैं क्रिकेट खेल खेल कर और इसमें जीतकर अपने स्कूल का नाम रोशन कर देता था। मैं धीरे-धीरे बड़ा होने लगा, पढ़ाई में मैं बीच का था, हमेशा मेरे टीचर मेरे माता-पिता से यही कहते थे कि आपका लड़का पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट खेलने का शौक रखता है इसे क्रिकेट खेलने के एक इंस्टीट्यूट में भी दाखिला दिलवाना चाहिए। धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा, मेरे माता-पिता ने मेरे क्रिकेट खेलने के शौक को समझा और क्रिकेट खेलने एवं सिखाने के एक इंस्टीटूट में मुझे भर्ती करवा दिया गया, मैं धीरे-धीरे इस इंस्टिट्यूट के सभी लोगों से अच्छा क्रिकेट खेलने लगा था।

यहां पर भी सभी मेरी प्रशंसा करते नहीं थकते थे इसके बाद मैंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मैं ज्यादातर जीतता ही था जिसकी वजह से हर कोई मेरी प्रशंसा करता था। मेरे माता-पिता मुझे जीतते हुए देखकर हमेशा खुश रहते थे। आज मैं भले ही बड़ा हो गया हूं लेकिन क्रिकेट खेलने का मेरा शौक कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता ही जा रहा है।

 आज मैं क्रिकेट खेलना भी पसंद करता हूं और टीवी पर क्रिकेट देखना भी बेहद पसंद करता हूं। जब भी मेंं टीवी पर क्रिकेट देखताा हूं तो मैं नजरें गड़ाकर क्रिकेट ऐसे देखता हूं कि जब तक क्रिकेट खत्म नहीं हो जाता तब तक मुझे भूख, प्यास भी नहीं लगती। क्रिकेट देखने का मेरा शौक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

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