मनुष्य और पर्यावरण पर निबंध
मनुष्य और पर्यावरण हमेशा से ही इन दोनों का गहरा संबंध रहा है. मनुष्य पर्यावरण में रहता है, पर्यावरण के बगैर मनुष्य का जीवन संभव नहीं है इस पर्यावरण में पेड़-पौधे, जीव जंतु, नदी, तालाब, वायु सब कुछ आता है.
मनुष्य अपने छोटे बड़े काम के लिए पर्यावरण पर ही निर्भर है, पर्यावरण के बगैर जीवन जीना मनुष्य और जीव-जंतुओं के लिए नामुमकिन है. मनुष्य यह सब जानता है लेकिन फिर भी आज पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है. आज हम देखें तो मनुष्य कई तरह के वाहनों का बहुत ज्यादा उपयोग करता है जिससे कई हानिकारक धुआं निकलता है और इससे पर्यावरण प्रदूषण होता है.
इसके अलावा हम देखें तो मनुष्य जल प्रदूषण भी करता है, जल जो कि हम सभी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, जल में मनुष्य अपने क्रियाकलापों से कई तरह के हानिकारक पदार्थ प्रवाहित करता है जिससे जल प्रदूषित होकर मनुष्य के लिए ही नुकसानदायक होता है. मनुष्य अपने थोड़े बहुत लाभ के लिए भी वृक्षों की कटाई कर रहा है, वह यह नहीं समझ रहा है कि पेड़ पौधे पर्यावरण के लिए बहुत ही जरूरी हैं यदि पेड़ पौधे कम होंगे तो हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.
पेड़ पौधे बरसा को भी आकर्षित करते हैं. इसके अलावा पेड़ पौधे हम सभी को जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और खुद कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं. हम पर्यावरण में उपस्थित पेड़ पौधों को इसी तरह से नुकसान पहुंचाते रहेंगे, इस बारे में नहीं सोचेंगे तो जाहिर सी बात है कि वह समय दूर नहीं है जब जीवन यापन करना काफी मुश्किल होगा.
आज हम देखें तो पर्यावरण को मनुष्य कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है असल में हम देखें तो हम खुद को ही नुकसान पहुंचाते जा रहे हैं. हमें यह समझना चाहिए कि पर्यावरण के बगैर हमारा कोई भी अस्तित्व नहीं है. पर्यावरण में उपस्थित हर एक जीव जंतु, नदी, तालाबों, पेड़-पौधों, वायु आदि का हम सभी को ख्याल रखना चाहिए और जीवन जीना चाहिए.
हम सभी पर्यावरण को जिस तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं उसको देखते हुए देश-विदेश के कई वैज्ञानिकों ने यह तक कह दिया है कि यदि मनुष्य इसी तरह से पर्यावरण को प्रदूषित करता रहा तो आने वाले समय में मनुष्य को अपना जीवन यापन करने किसी और ग्रह पर जाकर रहना पड़ेगा.
हम सभी आज देख रहे हैं कि मनुष्य पर्यावरण में उपस्थित मिट्टी को भी काफी नुकसान पहुंचा रहा है. मिट्टी में कई तरह के हानिकारक रासायनिक खाद्ध का प्रयोग किया जाता है किसान जल्द से जल्द फसल उत्पन्न करने के लालच में अपनी मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर रहा है जिसका नतीजा हमें धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है.
आज कई किसानों का कहना है कि जितना हम बीज होते हैं, जितना हम लागत लगाते हैं कभी-कभी तो वह भी नहीं निकल पाती. लोगों ने अपने लालच के चलते मिट्टी में कई हानिकारक पदार्थों का उपयोग करके खेती की जिससे आने वाले समय में हो सकता हमें और भी बुरे परिणाम देखने को मिले.
कई लोग अपने दैनिक कार्यों में इतने बिजी होने लगे हैं कि वह एक पल भी अपने पर्यावरण के बारे में सोचने के लिए समय भी नहीं निकालते और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते जा रहे हैं.
हमें चाहिए कि हम समझे कि मानव और पर्यावरण एक दूसरे पर निर्भर है, पर्यावरण मनुष्य कि बगैर अधूरा है वही पर्यावरण के बगैर मनुष्य का कोई अस्तित्व ही नहीं है इसलिए हमें पर्यावरण में उपस्थित प्रकृति के द्वारा दिए गए उपहारों का सम्मान करना चाहिए, उन्हें प्रदूषित नहीं करना चाहिए तभी हम भविष्य में सही तरह से जी सकते हैं.
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा पर्यावरण और मनुष्य पर निबंध आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं.
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