Wednesday, 3 June 2020

तितली की कहानी if i were a butterfly essay in hindi

तितली की कहानी

मैं एक तितली हूं मैं काफी सुंदर रंग बिरंगी हु लोग मुझे देखकर काफी खुश हो जाते हैं मैं अक्सर फूलों का रस पीना पसंद करती हूं और जीवन भर शाकाहारी रह कर अपने जीवन को निर्वाह करती हूं। मेरे जीवन की आत्मकथा हर किसी को जानने चाहिए।


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दरअसल मेरा जन्म कुछ समय पहले हुआ मेरा जब जन्म हुआ तो मैं इस पृथ्वी पर आकर काफी खुश थी जब चारों और मैंने देखा तो चारों और मेरे फूल ही फूल थे रंग बिरंगे फूलों को देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था मैं उन फूलों से रस चुस्ती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था इसी तरह से मैं धीरे-धीरे बड़ी होने लगी मेरी मां हमेशा मेरा ख्याल रखती थी वह मुझे कई सारी बातें भी सिखाती थी।


 कुछ दिनों बाद मैंने अपना परिवार छोड़ दिया और मैं एक सुंदर सी बगिया में जाकर रहने लगी बगिया में उपस्थित सुंदर सुंदर फूल मुझे काफी खुश करते थे मैं उन फूलों पर बैठकर उनका रस चुस्ती रहती थी इसमें मुझे काफी खुशी मिलती थी जब भी उस बगिया का मालिक उस बगिया में प्रवेश करता था तो मैं डर की वजह से वहां से चली जाती थी क्योंकि वह मालिक अक्सर सुबह-शाम बगिया में फूल तोड़ने के लिए आता था।


 अक्सर में देखती थी कि उस बगिया का मालिक हमेशा फूलों को तोड़ने के साथ में मुझे भी देखता था लेकिन मैं काफी होशियार थी मैं कभी भी मालिक के सामने पेड़ के पास नहीं जाती थी क्योंकि मुझे डर लगता था। कई लोग मुझे काफी होशियार भी कहते हैं लोगों का मानना है कि मुझ तितली का दिमाग काफी तेज होता है मैं काफी दूर का देख भी सकती हूं।


मैं अक्सर अपने मालिक को भी दूर से ही आते हुए देखकर फूलों से दूर हो जाती थी और जैसे ही मालिक बगिया से बाहर चला जाता था तो फूलों पर वापस आ जाती थी कभी-कभी मैं अपनी उस बगिया के अलावा एक दो और बागियों में भी जाती थी जब मैं अन्य भागों में पहली बार गई तो वहां की तितलियों के साथ मेरी थोड़ी बहस भी हो जाती थी लेकिन हमने आपस में ही दोस्ती कर ली।


 कभी वह तितलियां मेरी बगिया में आती तो कभी मैं उनकी बगिया में चली जाती उनकी बगियो में इसी तरह से हम तितलियों का जीवन काफी अच्छा चल रहा है एक दिन मेरी बगिया में एक सुंदर सी लड़की भी आई वह जरूर ही मालिक की बेटी थी उस छोटी सी लड़की ने जब मुझे फूलों के पास में देखा तो वह काफी खुश हुई और मेरी तरफ हाथ बढ़ाने लगी लेकिन मैं डर गई और उड़कर पेड़ के पास बैठ गई।


 वह अपने पिता से मेरे बारे में कुछ पूछ रही थी वह मेरी तारीफ अपने पिता से कर रही थी वह कह रही थी कि मैं कितनी सुंदर और रंग बिरंगी हूं जब मैंने मेरी तारीफ सुनी तो मुझे काफी खुशी का अनुभव हुआ आखिर में, मैं उस तितली की बालों पर आकर बैठ गई लड़की काफी खुश हुई और मैं फिर उसके हाथ पर आकर बैठ गई मुझे देखकर काफी खुश हो रही थी मुझे भी पता नहीं उस लड़की से डर क्यों नहीं लग रहा था।


आखिर में कुछ समय बाद फूलों के ऊपर फिर जा पहुंची और उनका रस चूसने लगी लड़की फिर वहां से बगिया से अपने घर जा पहुंची लेकिन अब वह लड़की अक्सर मुझे देखने के लिए शाम के समय बगिया में अपने पिता के साथ आ जाया करती थी हम दोनों की दोस्ती भी हो चुकी थी वह लड़की मुझे किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाती थी मैं उसके साथ काफी खुश रहती थी अब मुझे एक अपनी नई दोस्त भी मिल चुकी थी यही है मेरे जीवन की आत्मकथा।



 दोस्तों तितली की आत्मकथा पर मेरे द्वारा लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल यदि आपको पसंद आया हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूलें और हमें सब्सक्राइब भी जरूर करें।

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