vidyalaya mein anushasan hinta par nibandh
हर एक इंसान विद्यार्थी जीवन व्यतीत जरूर करता है जो इंसान विद्यार्थी जीवन किसी कारणवश यापन नहीं कर पाता वह ज्ञान हीन हीं रह जाता है विद्यार्थी विद्या प्राप्त करने के लिए विद्यालय में जाते हैं विद्यालय में उनके शिक्षक उन्हें शिक्षा देते हैं उन्हें सही गलत के मार्ग पर चलना सिखाते हैं अपने प्रत्येक विषय से संबंधित जानकारी उन्हें देते हैं और उनकी समस्याओं को हल करते हैं।
एक विद्यार्थी जीवन में जरूरी होता है कि विद्यालय में अनुशासन बना रहे विद्यालय में अनुशासन हीनता किसी भी विद्यालय के लिए काफी नुकसानदायक होता है विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने का काम छात्रों का भी होता है और शिक्षकों का भी होता है विद्यालय में अनुशासनहीनता कभी भी एक विद्यार्थी को अनुशासन प्रिय नहीं बना सकती इसलिए जरूरी है कि विद्यालय मैं अनुशासन बना रहे।
विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए शिक्षकों को चाहिए कि वह अपने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें उन्हें समय पर स्कूल आने की सलाह दें समय पर ही उनकी अलग-अलग विषय की शिक्षा दी जाए। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह स्कूल में अनुशासन बनाए रखें और विद्यार्थियों को भी स्कूल में अनुशासन बनाए रखने की सलाह दी जानी चाहिए।
विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपने शिक्षकों का सम्मान करें वह विद्यालय में अनुशासन बनाए रखें और रोजाना समय पर विद्यालय में उपस्थित हो और अपने गुरु के चरण स्पर्श करें। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपने शिक्षकों की हर एक बात को माने उनकी बात को समझने का प्रयत्न करें कहते हैं गुरु ईश्वर से भी बढ़कर होता है इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तव्य है कि गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलें।
विद्यालय में अनुशासन हीनता ना हो इसके लिए गुरुजनों को समय-समय पर अपने विद्यार्थियों को सचेत करते रहना चाहिए कि किस तरह से वह अपने विद्यालय में अनुशासन बनाए रख सकते हैं विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वह अपने शिक्षकों के द्वारा दिए जाने वाला होमवर्क कंप्लीट करके लाएं और अपने शिक्षकों के बताए हुए मार्गदर्शन पर चलें विद्यार्थियों को अपने विद्यालय में ऐसे रहना चाहिए जैसे कि विद्यालय एक मंदिर हो
लेकिन आजकल कई विद्यालय में अनुशासनहीनता देखने को मिलती है।
विद्यार्थी जिनको गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए और अनुशासन में रहना चाहिए वही विद्यार्थी आजकल अपने गुरुजनों का सम्मान नहीं करते कुछ विद्यार्थी अपने गुरुजनों से कड़वे शब्द कहने से भी नहीं डरते कुछ विद्यार्थी अपने गुरुजनों का मजाक उड़ाते देखे जाते हैं यह विद्यालय में अनुशासनहीनता ही है विद्यालय में कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो कभी भी अपने शिक्षकों की बात नहीं मानते कभी भी समय पर स्कूल में होमवर्क करके नहीं लाते वह हर बात का जवाब अपने शिक्षकों को तीखे शब्दों से देते हैं।
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है थोड़ा सख्त हो जाता है तो विद्यार्थी अपने गुरुजनों से भी बहस करने से नहीं चूकता यह विद्यालय में अनुशासनहीनता ही है। शुरुआत विद्यालय से ही है जहां पर ग्रहण करता है ऐसा होने लगा इसलिए हम सभी को विद्यालय में विद्यालय में अनुशासनहीनता को पूरी तरह से दूर कर देना चाहिए इसके लिए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को दोनों को ही करने की जरूरत है।
शिक्षकों को चाहिए कि वह अनुशासन हीन विद्यार्थियों को प्रेम पूर्वक समझाएं उन्हें अनुशासन और अनुशासनहीनता में अंतर बताएं और अनुशासन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे अनुशासन हीनता स्कूल के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है अनुशासन हीनता जिस विद्यालय में होती है वह विद्यालय ज्यादा समय तक अपनी सेवाएं नहीं दे पाता इसलिए हर एक विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने विद्यालय में अनुशासन बनाए रखें।
दोस्तो मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं इसी तरह के बेहतरीन आर्टिकल को पाने के लिए हमें सब्सक्राइब करना ना भूलें।
हर एक इंसान विद्यार्थी जीवन व्यतीत जरूर करता है जो इंसान विद्यार्थी जीवन किसी कारणवश यापन नहीं कर पाता वह ज्ञान हीन हीं रह जाता है विद्यार्थी विद्या प्राप्त करने के लिए विद्यालय में जाते हैं विद्यालय में उनके शिक्षक उन्हें शिक्षा देते हैं उन्हें सही गलत के मार्ग पर चलना सिखाते हैं अपने प्रत्येक विषय से संबंधित जानकारी उन्हें देते हैं और उनकी समस्याओं को हल करते हैं।
एक विद्यार्थी जीवन में जरूरी होता है कि विद्यालय में अनुशासन बना रहे विद्यालय में अनुशासन हीनता किसी भी विद्यालय के लिए काफी नुकसानदायक होता है विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने का काम छात्रों का भी होता है और शिक्षकों का भी होता है विद्यालय में अनुशासनहीनता कभी भी एक विद्यार्थी को अनुशासन प्रिय नहीं बना सकती इसलिए जरूरी है कि विद्यालय मैं अनुशासन बना रहे।
विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए शिक्षकों को चाहिए कि वह अपने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें उन्हें समय पर स्कूल आने की सलाह दें समय पर ही उनकी अलग-अलग विषय की शिक्षा दी जाए। शिक्षकों का कर्तव्य है कि वह स्कूल में अनुशासन बनाए रखें और विद्यार्थियों को भी स्कूल में अनुशासन बनाए रखने की सलाह दी जानी चाहिए।
विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपने शिक्षकों का सम्मान करें वह विद्यालय में अनुशासन बनाए रखें और रोजाना समय पर विद्यालय में उपस्थित हो और अपने गुरु के चरण स्पर्श करें। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह अपने शिक्षकों की हर एक बात को माने उनकी बात को समझने का प्रयत्न करें कहते हैं गुरु ईश्वर से भी बढ़कर होता है इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तव्य है कि गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलें।
विद्यालय में अनुशासन हीनता ना हो इसके लिए गुरुजनों को समय-समय पर अपने विद्यार्थियों को सचेत करते रहना चाहिए कि किस तरह से वह अपने विद्यालय में अनुशासन बनाए रख सकते हैं विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वह अपने शिक्षकों के द्वारा दिए जाने वाला होमवर्क कंप्लीट करके लाएं और अपने शिक्षकों के बताए हुए मार्गदर्शन पर चलें विद्यार्थियों को अपने विद्यालय में ऐसे रहना चाहिए जैसे कि विद्यालय एक मंदिर हो
लेकिन आजकल कई विद्यालय में अनुशासनहीनता देखने को मिलती है।
विद्यार्थी जिनको गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए और अनुशासन में रहना चाहिए वही विद्यार्थी आजकल अपने गुरुजनों का सम्मान नहीं करते कुछ विद्यार्थी अपने गुरुजनों से कड़वे शब्द कहने से भी नहीं डरते कुछ विद्यार्थी अपने गुरुजनों का मजाक उड़ाते देखे जाते हैं यह विद्यालय में अनुशासनहीनता ही है विद्यालय में कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो कभी भी अपने शिक्षकों की बात नहीं मानते कभी भी समय पर स्कूल में होमवर्क करके नहीं लाते वह हर बात का जवाब अपने शिक्षकों को तीखे शब्दों से देते हैं।
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है थोड़ा सख्त हो जाता है तो विद्यार्थी अपने गुरुजनों से भी बहस करने से नहीं चूकता यह विद्यालय में अनुशासनहीनता ही है। शुरुआत विद्यालय से ही है जहां पर ग्रहण करता है ऐसा होने लगा इसलिए हम सभी को विद्यालय में विद्यालय में अनुशासनहीनता को पूरी तरह से दूर कर देना चाहिए इसके लिए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को दोनों को ही करने की जरूरत है।
शिक्षकों को चाहिए कि वह अनुशासन हीन विद्यार्थियों को प्रेम पूर्वक समझाएं उन्हें अनुशासन और अनुशासनहीनता में अंतर बताएं और अनुशासन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे अनुशासन हीनता स्कूल के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है अनुशासन हीनता जिस विद्यालय में होती है वह विद्यालय ज्यादा समय तक अपनी सेवाएं नहीं दे पाता इसलिए हर एक विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने विद्यालय में अनुशासन बनाए रखें।
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This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteVery good explanation THANK YOU
ReplyDeleteVery nice nibandh
ReplyDeleteIt helped me a lot
Thanks a lot for this
Regards