स्कूल की यादें पर निबंध
स्कूल की यादें हर किसी को याद रहती हैं स्कूल की यादें लोगों को यही सोचने को मजबूर कर देती हैं कि काश स्कूल के दिन वापस आ जाएं क्योंकि स्कूल के दिनों में हमारी शरारती दोस्तों के साथ स्कूल में समय बिताना वास्तव में बहुत ही अच्छा लगता है स्कूल के अध्यापक स्कूल की क्लास एवं प्यारा सा सुंदर स्कूल सच में बहुत ही याद आता है।
school memories essay in hindi
स्कूल की हर एक याद मुझे स्कूल के दिनों में वापस जाने को कहती है कुछ समय पहले जब मैं स्कूल में था तो बहुत ही खुश रहता था मैं स्कूल सुबह-सुबह जाने के लिए जल्दी तैयार हो जाता था सिर्फ यह सोचकर कि मेरे दोस्त स्कूल में मुझे मिलेंगे मैं उनके साथ बातें करूंगा, खेलूंगा साथ में पढ़ाई करूंगा यही सोच मुझे काफी खुश कर देती थी स्कूल में मैं पढ़ाई करना भी मुझे काफी पसंद था।
अक्सर बच्चे स्कूल में पढ़ाई करते समय यही सोचते हैं कि काश हमें स्कूल न जाना पड़े लेकिन मैं रोज सुबह सोचता था कि कब मैं स्कूल पहुंची कब मैं अपने स्कूल के दोस्तों के साथ समय बिताऊंगा। मैं स्कूल कि अपनी क्लास का एक मॉनिटर था मेरे स्कूल की क्लास के सभी साथी मेरा बहुत ही सम्मान करते थे अक्सर जब मेरे दोस्तों को कुछ समझ में नहीं आता था तो वह खाली समय में मुझसे ही अपनी समस्याओं का समाधान लेते थे।
स्कूल के दिनों में हम कई बार रविवार के दिनों में बाहर घूमने को भी जाते थे अक्सर हम हमारे शहर के पास एक नदी के किनारे श्याम को टहलने के लिए जाते थे और रात होने से पहले ही घर वापस आ जाते थे। हम स्कूल के लंच के समय में बहुत ही खुश रहते थे हमारे स्कूल में बने पार्क में हम सभी दोस्त आपस में बातचीत करते रहते थे। हम परिवार के सदस्यों के समान ही मिलजुल कर खाना खाते थे और काफी खुश रहते थे।
जब भी स्कूल की घंटी बजती थी तो हम अपनी अपनी क्लास में आ जाते थे कभी-कभी हम दोस्त आपस में थोड़ी थोड़ी बातों के लिए झगड़ते भी थे हमारा आपस में यह झगड़ना सच में बहुत ही अच्छा लगता था हम झगड़ते जरूर थे लेकिन सिर्फ एक दूसरे के लिए। स्कूल के दिनों में कभी-कभी ऐसे दिन भी आए हैं जब मैं स्कूल जाने के लिए कुछ बहाने भी लेता था यह बहाने में इसलिए लेता था क्योंकि किसी कारणवश मैं अपना होमवर्क पूरा नहीं कर पाता था तब मैं अक्सर अपने माता-पिता से पेट दर्द या बुखार का बहाना ले लेता था।
मैं ए बहाने ज्यादा दिनों के लिए नहीं लेता था क्योंकि मुझे घर पर रहना भी काफी बुरा लगता था क्योंकि मैं अपने दोस्तों के साथ समय बिताना चाहता था जब भी मैं किसी दिन स्कूल नहीं जाता था तो स्कूल की क्लास पूरी होने के बाद मेरे घर पर मेरे दोस्तों के कई सारे फोन आ जाते थे क्योंकि सभी दोस्तों को स्कूल में मेरे बगैर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था यदि एक-दो दिन का स्कूल जाने का गैप हो जाता था तो मेरे कई दोस्त मेरे घर पर भी मुझे बुलाने के लिए आ जाते थे।
यह देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगता था स्कूल में मेरे अध्यापक मुझे काफी पसंद करते थे मैं जब भी मुझे कुछ बात समझ में नहीं आती थी तो मैं अपने अध्यापकों से वह बातें या उन सवालों के जवाब बार-बार पूछता था मेरी यह आदत मेरी अध्यापकों को पसंद तो थी लेकिन कभी-कभी मैं कुछ ज्यादा ही पूछता था तो मेरे अध्यापक मुझसे थोड़ी नाराज भी हो जाते थे लेकिन ऐसा बहुत ही कम बार हुआ है।
मेरे सभी साथी जब कुछ खेल खेलते थे तो मुझे उसमें शामिल जरूर कर लेते थे वह कहते थे कि तुम्हारे बगैर तो ना किसी खेल को खेलने में भी अच्छा नहीं लगता कभी-कभी मैं जब खेल खेलने के मूड में नहीं होता था तो भी मुझे बिना मर्जी के खेल खेलना ही पड़ता था हम सब काफी खुश रहते थे और सोचते रहते थे कि काश स्कूल के दिन कभी खत्म ना हो लेकिन धीरे-धीरे में आगे की क्लासों में बढ़ने लगा और एक समय ऐसा भी आया जब स्कूल को छोड़ने के दिन काफी नजदीक आ गए।
स्कूल को छोड़ने से पहले हम सभी साथियों ने स्कूल में एक प्रोग्राम का आयोजन किया और आखिर में हमने भी स्कूल छोड़ दिया आज मैं भले ही कॉलेज में पढ़ता हूं लेकिन अक्सर वो स्कूल के दिन प्रति दिन याद आते रहते हैं मेरे दोस्तों के साथ समय बिताना मुझे बहुत ही अच्छा लगता था अभी हम कभी कबार अपने दोस्तों से मिल पाते हैं। मेरे दोस्त आज अलग-अलग कॉलेज में पढ़ रहे हैं कोई हमारे शहर में हैं तो किसी अन्य शहर में भी है हमारे पास बस स्कूल की यादें हैं जो हमें खुश कर देती हैं।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल school memories essay in hindi आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं इसी तरह के आर्टिकल को पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करना ना भूलें।
स्कूल की यादें हर किसी को याद रहती हैं स्कूल की यादें लोगों को यही सोचने को मजबूर कर देती हैं कि काश स्कूल के दिन वापस आ जाएं क्योंकि स्कूल के दिनों में हमारी शरारती दोस्तों के साथ स्कूल में समय बिताना वास्तव में बहुत ही अच्छा लगता है स्कूल के अध्यापक स्कूल की क्लास एवं प्यारा सा सुंदर स्कूल सच में बहुत ही याद आता है।
school memories essay in hindi
स्कूल की हर एक याद मुझे स्कूल के दिनों में वापस जाने को कहती है कुछ समय पहले जब मैं स्कूल में था तो बहुत ही खुश रहता था मैं स्कूल सुबह-सुबह जाने के लिए जल्दी तैयार हो जाता था सिर्फ यह सोचकर कि मेरे दोस्त स्कूल में मुझे मिलेंगे मैं उनके साथ बातें करूंगा, खेलूंगा साथ में पढ़ाई करूंगा यही सोच मुझे काफी खुश कर देती थी स्कूल में मैं पढ़ाई करना भी मुझे काफी पसंद था।
अक्सर बच्चे स्कूल में पढ़ाई करते समय यही सोचते हैं कि काश हमें स्कूल न जाना पड़े लेकिन मैं रोज सुबह सोचता था कि कब मैं स्कूल पहुंची कब मैं अपने स्कूल के दोस्तों के साथ समय बिताऊंगा। मैं स्कूल कि अपनी क्लास का एक मॉनिटर था मेरे स्कूल की क्लास के सभी साथी मेरा बहुत ही सम्मान करते थे अक्सर जब मेरे दोस्तों को कुछ समझ में नहीं आता था तो वह खाली समय में मुझसे ही अपनी समस्याओं का समाधान लेते थे।
स्कूल के दिनों में हम कई बार रविवार के दिनों में बाहर घूमने को भी जाते थे अक्सर हम हमारे शहर के पास एक नदी के किनारे श्याम को टहलने के लिए जाते थे और रात होने से पहले ही घर वापस आ जाते थे। हम स्कूल के लंच के समय में बहुत ही खुश रहते थे हमारे स्कूल में बने पार्क में हम सभी दोस्त आपस में बातचीत करते रहते थे। हम परिवार के सदस्यों के समान ही मिलजुल कर खाना खाते थे और काफी खुश रहते थे।
जब भी स्कूल की घंटी बजती थी तो हम अपनी अपनी क्लास में आ जाते थे कभी-कभी हम दोस्त आपस में थोड़ी थोड़ी बातों के लिए झगड़ते भी थे हमारा आपस में यह झगड़ना सच में बहुत ही अच्छा लगता था हम झगड़ते जरूर थे लेकिन सिर्फ एक दूसरे के लिए। स्कूल के दिनों में कभी-कभी ऐसे दिन भी आए हैं जब मैं स्कूल जाने के लिए कुछ बहाने भी लेता था यह बहाने में इसलिए लेता था क्योंकि किसी कारणवश मैं अपना होमवर्क पूरा नहीं कर पाता था तब मैं अक्सर अपने माता-पिता से पेट दर्द या बुखार का बहाना ले लेता था।
मैं ए बहाने ज्यादा दिनों के लिए नहीं लेता था क्योंकि मुझे घर पर रहना भी काफी बुरा लगता था क्योंकि मैं अपने दोस्तों के साथ समय बिताना चाहता था जब भी मैं किसी दिन स्कूल नहीं जाता था तो स्कूल की क्लास पूरी होने के बाद मेरे घर पर मेरे दोस्तों के कई सारे फोन आ जाते थे क्योंकि सभी दोस्तों को स्कूल में मेरे बगैर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था यदि एक-दो दिन का स्कूल जाने का गैप हो जाता था तो मेरे कई दोस्त मेरे घर पर भी मुझे बुलाने के लिए आ जाते थे।
यह देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगता था स्कूल में मेरे अध्यापक मुझे काफी पसंद करते थे मैं जब भी मुझे कुछ बात समझ में नहीं आती थी तो मैं अपने अध्यापकों से वह बातें या उन सवालों के जवाब बार-बार पूछता था मेरी यह आदत मेरी अध्यापकों को पसंद तो थी लेकिन कभी-कभी मैं कुछ ज्यादा ही पूछता था तो मेरे अध्यापक मुझसे थोड़ी नाराज भी हो जाते थे लेकिन ऐसा बहुत ही कम बार हुआ है।
मेरे सभी साथी जब कुछ खेल खेलते थे तो मुझे उसमें शामिल जरूर कर लेते थे वह कहते थे कि तुम्हारे बगैर तो ना किसी खेल को खेलने में भी अच्छा नहीं लगता कभी-कभी मैं जब खेल खेलने के मूड में नहीं होता था तो भी मुझे बिना मर्जी के खेल खेलना ही पड़ता था हम सब काफी खुश रहते थे और सोचते रहते थे कि काश स्कूल के दिन कभी खत्म ना हो लेकिन धीरे-धीरे में आगे की क्लासों में बढ़ने लगा और एक समय ऐसा भी आया जब स्कूल को छोड़ने के दिन काफी नजदीक आ गए।
स्कूल को छोड़ने से पहले हम सभी साथियों ने स्कूल में एक प्रोग्राम का आयोजन किया और आखिर में हमने भी स्कूल छोड़ दिया आज मैं भले ही कॉलेज में पढ़ता हूं लेकिन अक्सर वो स्कूल के दिन प्रति दिन याद आते रहते हैं मेरे दोस्तों के साथ समय बिताना मुझे बहुत ही अच्छा लगता था अभी हम कभी कबार अपने दोस्तों से मिल पाते हैं। मेरे दोस्त आज अलग-अलग कॉलेज में पढ़ रहे हैं कोई हमारे शहर में हैं तो किसी अन्य शहर में भी है हमारे पास बस स्कूल की यादें हैं जो हमें खुश कर देती हैं।
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