Sunday, 10 May 2020

एक बीज की आत्मकथा निबंध beej ki atmakatha in hindi

एक बीज की आत्मकथा निबंध

मैं एक बीज हूं मैं अपने जीवन में काफी खुश हूं क्योंकि मेरे द्वारा ही पेड़ पौधे, फल फूल उत्पन्न होते है मेरे द्वारा जब पेड़ पौधों पर पत्तियां लगती हैं तब वे पत्तियां जानवरों, पशु पक्षियों के भोजन के काम में आती हैं मेरे बीज से उत्पन्न पेड़ पौधों से कई तरह के फल फूल भी उत्पन्न होते हैं जिनका उपयोग जानवर, मनुष्य आदि अपनी जीविका को चलाने के लिए करते हैं।

                       

 मेरा पूरा जीवन काल केवल अपने बीज से पेड़ पौधों, फल-फूल आदि को उत्पन्न करने में निकल जाता हैं मैं जीवन भर दूसरों की सेवा करता रहता हूं जब मेरे बीजों से फल-फूल उत्पन्न होते हैं तो कई अन्य बीज भी मुझमें निकलते हैं इस तरह से मेरी प्रजाति आगे बढ़ती रहती है। मेरी प्रजाति कभी भी थकती नहीं है वह आगे बढ़ती रहती है।


अक्सर सोचता हूं की यह जीवन जरूर ही ईश्वर ने मुझे दूसरे की सेवा करने के लिए ही दिया है इसलिए मैं हमेशा केवल दूसरों के लिए ही लाभ पहुंचाने वाले कार्य करता हूं मैं कभी भी अपने पेड़ों से पत्तियां एवं फल फूल तोड़ने से किसी को भी मना नहीं करता। मैं हमेशा खुश रहता हूं आज से कुछ समय पहले जब मैं इस धरती पर आया तब मैं ऐसे ही जमीन पर पड़ा हुआ था किसी एक अच्छे व्यक्ति ने मुझे अपने बगीचे में जमीन खोदकर लगा दिया वह व्यक्ति अक्सर सुबह शाम मुझे पानी देता धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा।


 मैं जब उस व्यक्ति को रोजाना सुबह-शाम पानी देते हुए देखता तो अक्सर सोचता रहता कि आज व्यक्ति जिस तरह से मेरी मदद कर रहा है जब मैं पेड़ या फल बन जाऊंगा तो मैं भी इसकी ऐसे ही मदद करूंगा। धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा मुझ में से एक पौधा निकला अब उस व्यक्ति ने मेरी सुरक्षा के लिए मेरे चारों ओर कुछ झाड़ियां सी लगा दी जिनकी वजह से मुझे नुकसान पहुंचाने वाले जीव जंतु, पक्षी आदि मेरे करीब ना आ पाए।


 धीरे-धीरे मैं उसके सुरक्षा के घेरे में बड़ा होता गया और 1 दिन में बड़ा पेड़ बन गया आज मैं इतना बड़ा हो गया हूं कि मेरे पेड़ पर फल फूल लगे हुए हैं वह व्यक्ति रोजाना शाम को आता है और मेरे स्वादिष्ट फल को तोड़कर साथ ले जाता है। मैं बहुत ही खुश हूं उस व्यक्ति की मदद करके क्योंकि उसने कभी मेरी भी देख रखी थी अक्सर में इस बगीचे में बैठा बैठा लोगों की बात सुनता रहता हूं कि लोग पेड़ पौधे नष्ट कर रहे हैं जंगलों की कटाई कर रहे हैं लेकिन मेरा मालिक तो बहुत ही अच्छा है जिसने मेरी देखरेख की जिसने मुझे इतना बड़ा किया मैं हमेशा अपने मालिक का ऋणी रहूंगा।


 मैं कभी भी अपने मालिक का कर्ज नहीं उतार पाऊंगा कभी-कभी इस बगीचे में मालिक के बच्चे भी घूमने के लिए आते हैं और मेरी छाए में मेरे स्वादिष्ट फल फूलों का स्वाद चखते हैं।अब मैं बहुत बड़ा हो गया हूं मेरे अंदर से कई बीज भी उग आए हैं जरूर ही मेरा मालिक उन बीजों को भी अपनी इस बगीचे या फिर दूसरे बगीचे में लगाएगा मैं यह सब सोच कर काफी खुश था कि मेरा परिवार अब धीरे-धीरे बड़ा होता जाएगा मैं भी अपने जीवन में काफी खुश हूं यही है मेरे जीवन की आत्मकथा।

 दोस्तों मेरे द्वारा लिखा बीज की आत्मकथा एक काल्पनिक आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूलें।

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