autobiography of tree essay in hindi
मानो सूखा वृक्ष बोल रहा है निबंध
मैं एक पेड़ बोल रहा हूं मैं गांव की एक बगिया में काफी सालों से मैं खड़ा हुआ हूं लोग गर्मियों के मौसम में मेरे नीचे बैठकर शांति महसूस करते हैं और मेरा शुक्रिया अदा भी कहते हैं मैं हमेशा एक जगह स्थिर हूं किसी से कुछ कहता नहीं और हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करता रहता हूं।
मैं अपने जीवन में संतुष्ट हूं आज मैं काफी उम्र का हो गया हूं जिस वजह से मैं सूखता जा रहा हूं जब मैं अपने बचपन के दिनों में था तब एक बच्चे ने मुझे इस जगह पर लगाया था उसके माता-पिता हमेशा मुझ में पानी डाला करते थे धीरे-धीरे मैं बड़ा हो गया। मैं इस बगिया का सबसे पुराना पेड़ हूं मैंने अपने जीवन काल में बगिया में उगे हुए पेड़ों को अपनी आंखों से देखा है।
इस बगिया में कई तरह के रंग बिरंगे फूल लगे हुए हैं कई तरह के फल भी लगे हुए हैं इन्हें तोड़ने के लिए अक्सर आस पड़ोस के बच्चे एवं कई अन्य लोग भी आते हैं मैं उन्हें देखकर काफी प्रसन्न होता हूं क्योंकि जब ये लोग मेरे सामने आते हैं तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है मैं अपने जीवन में काफी प्रसन्न होता हूं मैं बगिया में आने वाले लोगों की हर तरह से मदद करता हूं चाहे गर्मी का मौसम हो चाहे बरसात का बगिया में आने वाले लोग मेरा सहारा जरूर लेते हैं।
मेरे नीचे बैठकर गर्मी या फिर तेजी से आ रहे पानी से बचते हैं मैं काफी खुश होता हूं जब मैं दूसरों की मदद कर पाता हूं लेकिन आजकल मैं थोड़ा उदास ही रहता हूं क्योंकि मैं धीरे- धीरे सूखता जा रहा हूं मेरी उम्र गुजरती जा रही है अक्सर ऐसा लगता है कि शायद कुछ दिनों बाद में दूसरों को छाया देने वाला काम नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मैं सुख कर झड़ता जा रहा हूं मैं बस इंसानों से यही उम्मीद रखता हूं कि जिस तरह से मैं पूरे अपने जीवन काल में केवल दूसरों के लिए जीता हूं।
दूसरों को फल फूल एवं ऑक्सीजन छाया आदि प्रदान करता हूं उसी तरह से मनुष्य भी एक दूसरे के काम आए निस्वार्थ भाव से यदि मनुष्य मेरी तरह दूसरों के लिए कुछ अच्छा करें तो मनुष्य भी अपने जीवन काल में बहुत कुछ बड़ा कर सकता है।
कई मनुष्य ऐसे होते हैं जो केवल अपने लालच के लिए ही जीवन जीते हैं लेकिन ऐसे लोगों को मुझ से सीखने की जरूरत है जिस तरह से मैं जीवन भर केवल दूसरों के लिए ही कार्य करता हूं कभी भी उनका बुरा नहीं करता भले ही लोग मेरी टहनियों को काटे लेकिन मैं हमेशा लोगों के बारे में सोचता हूं उनके लिए ही जीवन जीता हूं। मनुष्य को भी हमेशा दूसरों के लिए बहुत अच्छा करना चाहिए जब हम किसी दूसरे के साथ अच्छा करते हैं तो ज्यादातर दूसरे लोग भी हमारे साथ अच्छा ही करते हैं।
आज मैं बूढ़ा हो रहा हूं और मेरी पत्तियां धीरे-धीरे चढ़ती जा रही हैं लेकिन मुझे ज्यादा दुख नहीं क्योंकि मैंने लोगों के लिए बहुत कुछ किया है मेरा जीवन व्यर्थ नहीं गया है यही सोचकर मैं खुश रहने का प्रयास करता हूं।
तो दोस्तो मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आपको कैसा लगा मुझे जरूर बताएं इसी तरह की बेहतरीन आर्टिकल को पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करना ना भूलें।
मानो सूखा वृक्ष बोल रहा है निबंध
मैं एक पेड़ बोल रहा हूं मैं गांव की एक बगिया में काफी सालों से मैं खड़ा हुआ हूं लोग गर्मियों के मौसम में मेरे नीचे बैठकर शांति महसूस करते हैं और मेरा शुक्रिया अदा भी कहते हैं मैं हमेशा एक जगह स्थिर हूं किसी से कुछ कहता नहीं और हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करता रहता हूं।
मैं अपने जीवन में संतुष्ट हूं आज मैं काफी उम्र का हो गया हूं जिस वजह से मैं सूखता जा रहा हूं जब मैं अपने बचपन के दिनों में था तब एक बच्चे ने मुझे इस जगह पर लगाया था उसके माता-पिता हमेशा मुझ में पानी डाला करते थे धीरे-धीरे मैं बड़ा हो गया। मैं इस बगिया का सबसे पुराना पेड़ हूं मैंने अपने जीवन काल में बगिया में उगे हुए पेड़ों को अपनी आंखों से देखा है।
इस बगिया में कई तरह के रंग बिरंगे फूल लगे हुए हैं कई तरह के फल भी लगे हुए हैं इन्हें तोड़ने के लिए अक्सर आस पड़ोस के बच्चे एवं कई अन्य लोग भी आते हैं मैं उन्हें देखकर काफी प्रसन्न होता हूं क्योंकि जब ये लोग मेरे सामने आते हैं तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है मैं अपने जीवन में काफी प्रसन्न होता हूं मैं बगिया में आने वाले लोगों की हर तरह से मदद करता हूं चाहे गर्मी का मौसम हो चाहे बरसात का बगिया में आने वाले लोग मेरा सहारा जरूर लेते हैं।
मेरे नीचे बैठकर गर्मी या फिर तेजी से आ रहे पानी से बचते हैं मैं काफी खुश होता हूं जब मैं दूसरों की मदद कर पाता हूं लेकिन आजकल मैं थोड़ा उदास ही रहता हूं क्योंकि मैं धीरे- धीरे सूखता जा रहा हूं मेरी उम्र गुजरती जा रही है अक्सर ऐसा लगता है कि शायद कुछ दिनों बाद में दूसरों को छाया देने वाला काम नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मैं सुख कर झड़ता जा रहा हूं मैं बस इंसानों से यही उम्मीद रखता हूं कि जिस तरह से मैं पूरे अपने जीवन काल में केवल दूसरों के लिए जीता हूं।
दूसरों को फल फूल एवं ऑक्सीजन छाया आदि प्रदान करता हूं उसी तरह से मनुष्य भी एक दूसरे के काम आए निस्वार्थ भाव से यदि मनुष्य मेरी तरह दूसरों के लिए कुछ अच्छा करें तो मनुष्य भी अपने जीवन काल में बहुत कुछ बड़ा कर सकता है।
कई मनुष्य ऐसे होते हैं जो केवल अपने लालच के लिए ही जीवन जीते हैं लेकिन ऐसे लोगों को मुझ से सीखने की जरूरत है जिस तरह से मैं जीवन भर केवल दूसरों के लिए ही कार्य करता हूं कभी भी उनका बुरा नहीं करता भले ही लोग मेरी टहनियों को काटे लेकिन मैं हमेशा लोगों के बारे में सोचता हूं उनके लिए ही जीवन जीता हूं। मनुष्य को भी हमेशा दूसरों के लिए बहुत अच्छा करना चाहिए जब हम किसी दूसरे के साथ अच्छा करते हैं तो ज्यादातर दूसरे लोग भी हमारे साथ अच्छा ही करते हैं।
आज मैं बूढ़ा हो रहा हूं और मेरी पत्तियां धीरे-धीरे चढ़ती जा रही हैं लेकिन मुझे ज्यादा दुख नहीं क्योंकि मैंने लोगों के लिए बहुत कुछ किया है मेरा जीवन व्यर्थ नहीं गया है यही सोचकर मैं खुश रहने का प्रयास करता हूं।
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Nice
ReplyDeleteWow
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