Monday 27 April 2020

गंगा नदी के बारे में Autobiography of river ganga in hindi

autobiography of ganga river in hindi
गंगा नदी के बारे में

मैं गंगा नदी हूं लोग मुझे गंगा मां भी कह कर पुकारते हैं मैं काफी खुश हूं कि मैं पृथ्वी पर रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण हूं। लोग मुझे देवी समझते हैं मेरी पूजा आराधना करते हैं लोग बाहर से मेरे दर्शनों के लिए आते हैं वह मुझ में अपने पापों को धोते हैं लेकिन मैं यह चाहती हूं कि लोग मुझे स्वच्छ बनाने की कोशिश करें अस्वच्छता ना फैलाएं।

                     

 मेरा जन्म भागीरथी जी के वजह से हुआ था भागीरथी जो कि अपने पूर्वजों को प्रेत योनि से मुक्त करना चाहते थे प्रेत योनि से मुक्त करने के लिए उन्हें गंगा जल की आवश्यकता थी गंगाजल के लिए भागीरथी के पूर्वजों ने भी काफी कोशिश की थी लेकिन मुझे यानी गंगा को धरती पर नहीं ला पाए थे तब भागीरथी ने काफी कोशिश की कई सालों तक तपस्या करने के बाद आखिर ब्रह्मा जी के आदेश को मानते हुए मैं धरती पर आने के लिए तैयार हुई लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर में इतनी तीव्र गति से धरती पर जाऊंगी तो काफी नुकसान होगा इसीलिए शिव शंकर जी की जटाओं में मुझे रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


 मैं काफी समय तक शिवजी की जटाओं में रही और फिर जटाओं में से होते हुए मैं धरती पर आ गई धरती पर आने के बाद मुझे काफी खुशी का अनुभव हुआ भागीरथ ने अपने पूर्वजों को प्रेत योनी से मुक्ति दी। आज के युग में भी लोग मुझे पूछते हैं लेकिन मैं अपने भक्तों से यही चाहती हूं कि लोग स्वच्छता बनाए रखें मुझे प्रदूषित ना करें मेरे आस-पास पॉलिथीन आदि इखाटे ना होने दें इससे मुझे भी फायदा है और मेरे श्रद्धालुओं को भी।


 मैं हिमालय से निकलती हूं इसलिए मेरा नाम गंगोत्री भी है मेरे आस-पास कई तरह के शहर हैं जैसे कि इलाहाबाद, हरिद्वार,वाराणसी, कानपुर आदि जैसे कई अन्य शहर भी हैं यह सभी शहर ऐसे शहर हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं यहां पर कई सारे तीर्थ स्थल भी हैं। मेरी वजह से समस्त जीव-जंतु, मनुष्यों को काफी लाभ प्राप्त होता है मैं हमेशा प्रत्येक जीव जंतु के लिए समर्पित रहती हूं लोग मुझे गंगा मां भी कह कर पुकारते हैं मैं अपनी माता होने का हर एक कर्तव्य निभाऊंगी।


मैं गंगा नदी कई तरह से आर्थिक मदद भी देश की करती हूं दरअसल भारत देश में जो फसल होती है उस फसल की सिंचाई के लिए मेरा जल का उपयोग किया जाता है मैं बांग्लादेश में भी कई तरह की फसलों की सिंचाई में मदद करती हूं। भारत देश ने मुझे स्वच्छ रखने के लिए कई तरह के अभियान चलाए जाते रहे हैं आजकल उद्योगों से निकलने वाला कई तरह का हानिकारक पदार्थ मुझ में मिल जाता है जिससे काफी नुकसान होता है लेकिन भारत सरकार के द्वारा चलाए गए अभियान मुझे प्रदूषित होने से रोकने में काफी मदद करते हैं।


मुझ गंगा नदी का बखान साहित्य में भी किया गया है आप मेरे बारे में महाभारत में पढ़ सकते हैं, आप मेरे बारे में रामायण में भी पढ़ सकते हैं रामायण में वाल्मीकि जी ने मेरे किनारे पर ही रामायण लिखी थी मेरे बारे में आप अन्य ग्रंथों में भी पढ़ सकते हैं मैं काफी प्रसिद्ध हूं। कई लोग मानते हैं कि मैं पापनाशिनी हूं मैं बस अपने श्रद्धालु जनों को हमेशा खुश देखना चाहती हूं।


लोग मुझे पूछते हैं मुझे सम्मान देते हैं मेरे लिए यही बहुत कुछ है मैं इस पृथ्वी पर अ आकर काफी खुश हूं बस आप हमेशा मुझे स्वच्छ बनाने की कोशिश करें क्योंकि मैं जब स्वच्छ रहूंगी तभी मैं आपकी ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकूंगी बस मैं आपसे यही कहना चाहती हूं यही है मेरी आत्मकथा।


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