Saturday, 11 April 2020

मेघ की आत्मकथा Autobiography of cloud in hindi

मेघ की आत्मकथा

मैं मेघ हूं लोग मुझे बादल भी कहते हैं मैं लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हूं। मैं काफी खुश हूं कि मैं पृथ्वी पर उपस्थित सभी मनुष्य, जीव जंतुओं, पशु पक्षियों आदि के जीवन में उपयोगी साबित होता हूं।


दरअसल सभी जीव जंतु, पशु पक्षियों को जल की आवश्यकता होती है मेरे द्वारा ही जल जमीन पर भेजा जाता है और लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। जब गर्मी का मौसम आता है तो लोग बरसात के मौसम को याद करते हैं कहते हैं कि अब तो बादल बरस जाएं लेकिन कभी-कभी बरसात के मौसम में मैं काफी तेजी से बरसने लगता हूं तो कई लोग तो वहबीत भी हो जाते हैं कि पता नहीं कितनी तेज पानी बरसेगा।

लोग सोचने लगते हैं कि कहीं बाढ़ तो नहीं आ जाएगी फिर मैं अपनी साधारण स्थिति में आ जाता हूं तो लोग खुश हो जाते हैं। कभी-कभी मेरी गड़गड़ाहट की आवाज की वजह से सभी लोग भयभीत हो जाते हैं और तरह-तरह की बातें करने लगते हैं। मैं जब नीचे मनुष्य, जीव जंतुओं को देखता हूं तो मुझे खुशी का अनुभव होता है।

जब मेरे बादल आते हैं तब कई जीव जंतु, मनुष्य खुश भी हो जाते हैं। मोर जो कि एक पक्षी है मेरे बादलों को देख नाचने लगता है जिसको पृथ्वी पर उपस्थित हर कोई देखकर खुश होता है और मैं भी उस मोर को देखकर काफी प्रसन्न हो जाता हूं मोर नाचते समय बहुत ही सुंदर भी लगता है लेकिन जैसे ही मैं बरसता हु तो खुशी से नाचने लगता हैं।

बरसात के दिनों में जब काफी दिनों तक बरसात होती रहती हैं तब लोग मुझसे डर जाते हैं वह सोचते हैं कि बरसात जल्दी चली जाए लेकिन बरसात चली जाने के बाद फिर से बरसात का लोग इंतजार करने लगते हैं। बरसात के मौसम में, मैं कभी कभी विशालकाय पर्वत के समान भी दिखने में प्रतीत होता हूं।

पृथ्वी पर उपस्थित लोग मुझे देखकर बरसात का अनुमान लगाते हैं। मौसम के हाल बताते हैं लेकिन मेरे हाल हर कोई स्पष्ट नहीं बता सकता कभी-कभी मैं अपने मन मुताबिक बदल भी जाता हूं क्योंकि मैं सिर्फ अपनी सुनता हूं।

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