Essay on farmers autobiography in Hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं एक कृषक की आत्मकथा पर लिखा निबंध आप इसे पढ़ें यह एक काल्पनिक आर्टिकल है।
मैं एक कृषक हू लोग मुझे कई और नामों से भी पुकारते हैं कई लोग मुझे किसान कहते हैं, तो कोई मुझे अन्नदाता कहते हैं, तो कोई मुझे कृषक कहकर पुकारते हैं मैं भूमि से अन्य उगता हूं। मैं कई तरह की फसलें जैसे कि गेहूं, ज्वार, चना, मूंगफली, सोयाबीन कई तरह की सब्जियां उगाते हैं जिनका उपयोग आप अपनी जीविका चलाने में करते हैं मैं अपनी फसलों को पैदा करके उन्हें अनाज बेचने वाली मंडियों में भेजता हूं।
मंडियो पर मैं अपने अनाज को वाहन में भेजता हूं मेरे द्वारा आज देशभर में जाता है। आजकल गेंहू का उपयोग लोग सबसे ज्यादा अपने खाने में ली जाने वाली और रोटियां बनाने में करते हैं मैं बहुत ही खुश हूं मैं लोगों का इतना सहयोग करता हूं। कभी-कभी जब मौसम विपरीत होता है तो मेरे द्वारा उगाई जाने वाली फसलों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है तो मुझे काफी दुख होता है क्योंकि मैं अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हूं।
मुझ किसान को राहत तब मिलती है जब सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं के जरिए मैं लाभान्वित होता हूं सरकार भी किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए काफी प्रयत्न करती है सरकार किसानों की फसलों को जो नुकसान होता है उसके लिए मुआवजा भी देती है लेकिन कई बार कई किसानों को अधिक नुकसान होता है और किसान उस नुकसान से अपने आप को संभाल नहीं पाते या परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते जिसकी वजह से कई किसान आत्महत्या जैसे कदमों को भी उठा लेते हैं।
में भी एक किसान हूं इसलिए ऐसे किसानों से कहना चाहूंगा ऐसे कदम उठाकर हम किसानों की समस्या सॉल्व नहीं होगी इसके लिए हमें आवाज उठानी होगी तभी हमारी सारी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
कभी-कभी मेरे जैसे किसानों को रात रात भर परिश्रम करना पड़ता है और कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है तब जाकर फसल की पैदावार होती है कई बार जब मौसम वितरित होता है तो मुझे काफी दुख होता है जैसे कि यदि सही समय पर बरसात नहीं होती तो बरसात का इंतजार किसान बड़े ही बेसब्री से करता है और जब बरसात हो जाती है तो मेरे जैसे किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं।
कभी-कभी मेरे जैसे किसानों को रात रात भर परिश्रम करना पड़ता है और कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है तब जाकर फसल की पैदावार होती है कई बार जब मौसम वितरित होता है तो मुझे काफी दुख होता है जैसे कि यदि सही समय पर बरसात नहीं होती तो बरसात का इंतजार किसान बड़े ही बेसब्री से करता है और जब बरसात हो जाती है तो मेरे जैसे किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं।
कभी ओलावृष्टि के कारण यदि मेरे जैसे किसानों की फसल नष्ट होती है तो मुझे काफी दुख होता है कई बार मेरे जैसे किसान कई जगह से लोन ले लेते हैं फिर यदि पैदावार अच्छी नहीं होती तो लोन चुकाने में परेशानी आती है या वह लोन नहीं चुका पाते तो मेरे जैसे किसानों को काफी परेशानी झेलना पड़ती है। कभी पानी न बरसने से समस्या होती है तो कभी-कभी इतनी तेजी से पानी बरसता है कि किसानों की सारी की सारी फसल नष्ट होने की संभावना होती है और जब फसल नष्ट हो जाती है तो मेरे जैसे किसानों को काफी दुख होता है।
मेरे खेत में एक बार फसल कटने ही वाली थी की किसी कारण बस मेरे पूरे खेत में आग लग गई और मेरी फसल पूरी नष्ट हो गई तो मुझे काफी दुख हुआ मैं यह शदमा बरदास भी ना कर पाया मैं एकदम से ही बेहोश हो गया था क्योंकि मेरे लिए मेरे खेत और मेरी फसल सब कुछ होते हैं उसी से मैं अपने और अपने परिवार की जीविका चलाता हूं जब मुझे होश आया तो मेरे दुख का सैलाब आया ऐसे देशभर में कई किसान भी होते हैं जिनकी आग लगने की वजह से फसलें नष्ट हो जाती हैं। हम सभी किसानों को बड़ी ही सावधानी से फसलों की देखरेख करने की जरूरत होती है।
मैं एक किसान हूं इसलिए मैं सरकार और देशवासियों से कहना चाहूंगा कि मैं फसल पैदावार के लिए काफी मेहनत करता हूं और आप सबके लिए फसल उगाता हूं जिससे आप उस फसल से प्राप्त अन्य का उपयोग कर पाते हो।सरकार को चाहिए कि हमारे लिए अच्छी अच्छी योजनाएं लाए जिससे हमारी मदद हो सके।
दोस्तों बताइए कि आपको मेरे द्वारा लिखित यह किसान की या कृषक की आत्मकथा आपको कैसी लगी यदि आपको इस आर्टिकल में कुछ भी अच्छा ना लगे तो हमें जरूर बताएं हम इस आर्टिकल को पुनः अपडेट करेंगे।
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