Sunday 13 May 2018

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on meri priya pustak in hindi language

Essay on meri priya pustak in hindi language

हैलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on meri priya pustak in hindi language  दोस्तों हर किसी को अलग-अलग किताबें पढ़ना पसंद होता है पुस्तक हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है पुस्तकें हमारे अच्छे बुरे वक्त  किस समय मैं समस्या का निवारण इनकी सहायता से किया जा सकता है परंतु हमें अच्छी पुस्तकों का ही अध्ययन करना चाहिए मन को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक करना चाहिए पुस्तकों के ज्ञान से मानव की बुद्धि व शक्तियों का विकास होता है किसी को रामायण पसंद है तो किसी को महाभारत मगर मैंने यहां पर मेरी प्रिय पुस्तक के बारे में लिखा है,

Essay on meri priya pustak in hindi

हर किसी की पसंद एक ही तो नहीं होती मेरी पसंद है विज्ञान, विज्ञान में हर चीज पढ़ती हूं और उन लोगों के बारे में जानने की कोशिश करती हूं जिन्होंने इस दुनिया में इतने अविष्कार किए हैं कि कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता किसी वैज्ञानिक नेें मोबाइल फोन का आविष्कार किया है, तो किसी वैज्ञानिक ने लाइट के लिए बल्ब का आविष्कार किया है ,तो किसी वैज्ञानिक ने मशीनें का आविष्कार किया है इन वैज्ञानिको के बारे में जानकर मेरा मन भी किसी चीज़ का अविष्कार करने को करता है कि मैं भी इन वैज्ञानिको की तरह कुछ आविष्कार करके दिखाऊ आप जानते होंगे कि विज्ञान में प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं मुझे प्रोजेक्ट बनाना बहुत पसंद है और मैं प्रोजेक्ट बनाकर जानकारी लेकर लोगों को उसके बारे में बताती हूं तो Essay on meri priya pustak in hindi language जानिए प्रिय पुस्तक के बारे में

पुस्तक का महत्व pustak ka mahatva

पुस्तक में वह शक्ति होती है जो किसी भी व्यक्ति के दिमाग को गलत रास्ते पर जाने से रोक सकती है जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकती है कठिन से कठिन समस्याओं का निदान करके बल प्रदान कर सकती है पुस्तकें मनुष्य के आत्मबाल का सर्वश्रेष्ठ साधन है जिनसे ज्ञान अर्जित किया जाता हैं, पुस्तकालय ज्ञानार्जन का प्रमुख स्त्रोत है।

यहां श्रेष्ठ लेखकों के महान व्याख्यानों व कथाओं से परिपूर्ण पुस्तकें प्राप्त की जा सकती हैं पुस्तकालय में बैठ कर कोई भी व्यक्ति एक ही विषय पर अनेक व्यक्तियों के विचारों से परिचित हो सकता है बड़े बड़े पुस्तकालय में लाखों पुस्तक में संग्रहित होती हैं पुस्तकालय उस स्थान को कहते हैं जहां पर पुस्तकों को संगठित करके उनका एक विशाल भंडार बनाया जाता है।

किताबें वास्तव में जीवन में एक महान सात्वना है वे हमारे लिए कभी असफल नहीं होती हैं दुनिया में पुस्तकें पढ़ना किसी की बस की बात नहीं है पुस्तकालय को माता सरस्वती का मंदिर कहा जाता है पुस्तकालय से बच्चे किताब लेकर कर पढ़ सकते हैं और ज्ञान अर्जित कर सकते हैं अपनी इच्छा अनुसार किताबें पढ़ सकते हैं लेकिन संसार की प्रत्येक पुस्तक को पढ़ना संभव नहीं है मैंने बहुत सी पुस्तकें पढ़ी उनसे ज्ञान अर्जित किया परंतु उन पुस्तकों में मुझे रामचरितमानस पुस्तक पढ़ना अच्छा लगा, पहले मैंने विज्ञान के बारे में बताया अब मैं आपको रामचरितमानस पुस्तक के बारे में बताती हूं जो मैंने पढ़ी थी।

रामचरितमानस मेरी प्रिय पुस्तक है रामचरितमानस को जीवन की अमूल्य निधि माना जाता है इसमें  कृति के मूल संदेश पुत्र का माता पिता के प्रति कर्तव्य भाई का भाई के प्रति कर्तव्य और पत्नी का पति के प्रति कर्तव्य के बारे में पता चलता है,

रामचरितमानस-

रामचरितमानस के भारतीय जनता के सच्चे प्रतिनिधि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं उन्होंने इसकी रचना एवं 1631 से प्रारंभ करके  संवत1603 में पूर्ण की थी उनका सर्वोत्तम ग्राम अवधी भाषा में लिखा गया है इसमें महाकवि तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के जीवन चरित्र को 7 कांडों में प्रस्तुत किया है।

श्री रामचरितमानस की कथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के संपूर्ण जीवन पर आधारित है इस कथावस्तु का मूल स्त्रोत बाल्मीकि कृत रामायण है तुलसीदास ने इसे अपनी कला एवं प्रतिभा के द्वारा नवीन एवं मौलिक रुप प्रदान किए हैं इसमें राम और रावण पर विजय दिखाते हुए प्रतीकात्मक रुप से सत्य,  न्याय और धर्म की असत्य, अन्याय और आधर्म पर विजय प्रदर्शित की है इस महान काव्य में राम के शील शक्ति और सौंदर्य का मर्यादा पूर्व चित्रण है।

रामचरितमानस की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(1) आदर्श चरित्र का भंडार
(2)  लोकमंगल का आदर्श
(3) नीति सदाचार और समन्वय की भावना
(4)  भारतीय समाज का दर्पण
(5) रामराज्य के रूप में आदर्श राज्य की कल्पना
(6) कला का उत्कर्ष

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