Wednesday 16 May 2018

कोयल पर निबंध Essay on koyal in hindi

Essay on cuckoo bird in hindi

koyal bird essay in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल कोयल पर निबंध  essay on koyal in hindi दोस्तों आप सभी कोयल को तो जानते होंगे उसकी सुरीली मीठी आवाज कोई भी उसकी आवाज सुनकर नाचने लगे इतनी मीठी कोयल की आवाज होती है बहुत ही सुरीला गाती है और उसे सब लोग पसंद करते हैं वर्षा ऋतु में आपने देखा होगा कि कोयल कुक ने लगती है कोयल की मधुर आवाज के लिए उसे संपूर्ण विश्व में जाना जाता है इन्हें को खिलाया कुकु नामों से भी जानते हैं तो आज हम जानते हैं कोयल के 
बारे में जानिए

essay on koyal in hindi
      
       Image source - https://en.m.wikipedia.org

कोयल का वैज्ञानिक नाम यूडाइनेमिस स्कोलोपेकस है नर कोयल का रंग काला और मादा कोयल का रंग गहरा भूरा होता है इनकी आंखें लाल रंग की होती है नर कोयल ही गाता है मादा कोयल नहीं इसलिए कहा भी गया है कि पक्षियों में नर अधिक आकर्षक होते हैं नर कोयल अपना घोंसला खुद नहीं बनाते हैं दूसरों के घोसले पर अपने अंडे देते हैं जैसे कि कौवे का घोंसला कोयल कौवे के घोंसले में जाकर कौवे को बेवकूफ बनाकर कौवे के घोसले में अंडा रख देती है यह अपने भोजन में तितली कीट पतंगे और ऐसी भी बहुत सी प्रकार कीटों को खाना पसंद करता है यह हमेशा ज्यादा ऊंचाई वाले वृक्षों पर रहना पसंद करता है।


कोयल एक भारतीय पक्षी है जिसका रंग पूरी तरह से काला होता है मादा कोयल 12 से 20 अंडे देती है कोयल की प्रजातियां 120 से भी बहुत अधिक पाई जाती हैं कोयल सबसे ज्यादा अफ्रीका और एशिया में पाई जाती है कोयल झारखंड का राज्य पक्षी है कोयल मीठी बोली बोलने वाली भारतीय पक्षियों में इसका विशेष स्थान है कोयल ज्यादातर बहुत अधिक छाया वाले पैरों पर बैठकर अपनी तान छेड़ता है उन पत्तो में अपने आप को छुपा लेती है।

कोयल एक भारतीय पक्षी है यह इस देश के बाहर नहीं जाती है कोयल शाकाहारी पक्षी है जो जमीन पर बहुत कम उतरती है इसके जुड़े सुविधा के अनुसार अपनी सीमा बना लेते हैं और एक दूसरे के अधिकृत स्थान का अतिक्रमण नहीं करते प्रतिवर्ष वे अपने निश्चित स्थान पर ही आते हैं और कुछ समय बिताकर फिर अपने देश लौट जाते हैं।

अन्य पक्षियों की भांति अंडा देने का समय निकट आने पर कुकू वर्ग के पक्षी घोंसला बनाने की चिंता नहीं करते देखा हुए पूतना और चरखी आदि के घोंसले में अपना एक अंडा देकर उसका एक अंडा अपनी चोंच में भरकर ले आते हैं और किसी पेड़ पर बैठकर उसे चटकर जाते हैं इसी प्रकार वह दूसरे घोसले में दूसरा अंडा देकर उसका एक अंडा खा लेते हैं और दूसरों के घोसलों में कुकू के बच्चे उन अंडो से निकल आते हैं।


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