essay on Khudiram bose in hindi
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल essay on Khudiram bose in hindi खुदीराम बोस के बारे में है तो हम सभी जानेंगे खुदीराम बोस के बारे में खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को मिदनापुर जिले के बाहुबली ग्राम में हुआ था खुदीराम जब 6 वर्ष के थे तब उनके माता पिता की मृत्यु हो चुकी थी ऐसे में उनकी बड़ी बहन अमृता देवी तथा बहनोई अमृतलाल ने खुदीराम का पालन पोषण किया था।
खुदीराम बोस के मन में देशभक्ति की भावना बचपन से ही इतनी प्रबल थी कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों मैं भाग लेना प्रारंभ कर दिया था खुदीराम बोस अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ होने वाले जुलूस में शामिल होते थे तथा नारे लगाते थे उनके मन में देश के प्रति इतनी भक्ति भरी हुई थी कि हर समय देश के बारे में ही बात करते रहते थे खुदीराम बोस नी नवी कक्षा से पढ़ाई छोड़ दी थी।
खुदीराम बोस स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े थे उन्होंने अपना क्रांति जीवन चयन बोर्ड के नेतृत्व में शुरू किया था 16 साल की उम्र में उन्होंने पुलिस स्टेशनों के पास बंद रखना और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया करते थे सन 1906 में पुलिस ने बॉस को दो बार पकड़ा 28 फरवरी 1906 को सोनार बांग्ला नामक एक इश्तेहार बांटते हुए पकड़े गए पर पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब हो गए थे दूसरी बार पुलिस ने उन्हें 16 मई को गिरफ्तार किया पर कम आयु होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया।
बंगाल विभाजन के विरोध में लाखों लोग सड़कों पर उतरे और उनमें से अनेकों भारतीयों को उस समय कोलकाता के मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड ने क्रूड दंड दिया 30 अप्रैल 1968 को चाती और बॉस बाहर निकलें और किंग्स फोर्ट के बंगले के बाहर खड़े होकर उसका इंतजार करने लगे लेकिन वह अपनी हरकतों से वही काम करने लगे खुदीराम ने अंधेरे में आगे वाली बग्गी पर बम फेंका पर उस बगी में किंग्सफोर्ड नहीं बल्कि दो यूरोपियन महिला थी जिनकी मौत हो गई थी वहां से भाग गए भागते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचे।
1 मई को पुणे स्टेशन से मुजफ्फरपुर लगाया गया ब्रिटिश सरकार में कार्यरत एक आदमी ने उनकी मदद की और रात को ट्रेन में बैठाया पर रेल यात्रा के दौरान ब्रिटिश पुलिस में कार्यरत एक सब इंस्पेक्टर को शक हो गया था और उसने मुजफफरपुर पुलिस को इस बात की जानकारी दे दी और यह कहा कि चाकी अगले स्टेशन पर उतरे तभी पकड़ लेना जिससे कि पुलिस अगले स्टेशन पर वहां पहुंच चुकी थी अंग्रेजों के हाथों मरने के बजह चाकी ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गए।
खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई खुदीराम बोस इतनी निडर से खुशी-खुशी फांसी चढ़ गए।
खुदीराम बोस एक भारतीय युवा क्रांति थे जिनकी शहादत ने संपूर्ण देश में क्रांति की लहर पैदा कर दी थी खुदीराम बोस देश की आजादी के लिए 19 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे यह देश की सेवा करते हुए फांसी चढ़ चुके थे उनकी वीरता को अमर करने के लिए गिफ्ट ले कर रहे हैं और इनका बलिदान लोक गीतों के रूप में मुखरित हुआ खुदीराम बोस के सम्मान में भावपूर्ण गीतों की रचना हुई है।
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