Thursday, 14 December 2017

पपीता की खेती Papita ki kheti ki jankari hindi

Papita ki kheti ki jankari hindi

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज कल पपीते की महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि बीमार लोगों को लेना भी मुश्किल हो गया है । जो गरीब लोग है  वह फल फूल नहीं खरीद पाते । दोस्तों मैं आपको पपीता की खेती के बारे में जानकारी देना चाहती हूं । अगर आप पपीता की सही तरीके से खेती करना चाहते हैं तो आपको कम खर्च में ज्यादा फायदा हो सकता है । खाने में स्वादिष्ट लगने वाला फल पपीता उसमें विटामिन ए , विटामिन सी और विटामिन इ पाया जाता है ।पपीते में पेपन नामक पदार्थ पाया जाता है जो अतिरिक्त चर्बी को गलाने के काम आता है । यह सबसे कम समय में तैयार होने वाला फल है  जिसे पके तथा कच्ची दोनों रूप में प्रयोग किया जाता है इसलिए पपीता सबको प्रिय होता है ।

पपीता क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का 5 वा लोकप्रिय फल है । देश के अधिकांश भागों में घर-घर की बगिया से लेकर बागों तक इसकी खेती का क्षेत्रफल  निरंतर बढ़ता जा रहा है । देश के विभिन्न राज्यों में जैसे तमिलनाडु , बिहार , असम , महाराष्ट्र , गुजरात , बिहार , पंजाब , हरियाणा , जम्मू कश्मीर ऐसे बहुत से देश हैं जिनमें पपीते की खेती अधिकांश रुप से की जाती है । पपीता बहुत ही जल्दी बढ़ने वाला पेड़ है । साधारण जमीन थोड़ी गर्मी हो और अच्छी धूप मिले तो पपीता अच्छा पनपता है । इसकी पूरी ऊंचाई करीब12 या 13 फुट तक होती है ।जैसे पेड़ बढ़ता है उसके नीचे की पत्ती गिरती जाती हैं और पपीते के फल निकलते जाते हैं । एकदम पपीता हरे पत्तों बाला होता हैं । पपीता का पेड़ अच्छा होता है भूरे रंग का और अंदर से खोखला होता है । पपीता का पेड़ ज्यादा समय तक नहीं चलता उसमें सड़न लग जाती है और वह टूट कर जमीन पर गिर जाता है । Papita ki kheti ki jankari hindi
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पपीता सबसे कम समय में फल देने वाला पेड़ है इसलिए किसान कम समय में मुनाफा कमाने के लिए इसे लगाते हैं । इसमें कई पाचक एंजाइम भी पाए जाते हैं । बीमार व्यक्ति इसके ताजे फलों को सेवन करने से उसकी बीमारी में सुधार आता है । पपीता बहुत से प्रकार के होते हैं इनकी खेती कुछ अलग नहीं की जाती । यह खेती कई ढंग से की जाती है । भले ही पपीता कई प्रकार के होते हैं लेकिन खेती एक तरह की जाती है ।

पपीता लगाने की भूमि  -  जमीन उपजाऊ होनी चाहिए जिस मे जल निवास अच्छा हो तो पपीते की खेती उत्तम होती है । जिस खेत में पानी भरा हो उसके तने पपीते की खेती नहीं हो सकती क्योंकि पानी भरे हुए खेत में हम पपीते की खेती करेंगे तो पपीते में रोग लग सकता है । आपके 
पपीते की फसल ठीक नहीं हो सकती क्योंकि पानी भरे रहने से पौधे में कोलार रॉट बीमारी लगने की संभावना रहती है और अधिक गहरी मिट्टी में भी पपीते की खेती नहीं करनी चाहिए ।

पपीता की खेती करने के लिए हमें सबसे पहले खेत को समतल करना चाहिए और भूमि में सड़ा हुआ खाद्य डालवा देना चाहिए । 2-2 मीटर के अंदर पर लंबा गहरा गड्ढा बनाना चाहिए । इन गड्ढों में 15-20 किलो गोबर की खाद , 400 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश को मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के कम से कम 10 -15 दिन पूर्व भर देना चाहिए ।

पपीता की खेती की जलवायु -

पपीता की खेती को अच्छी तरह से करने के लिए हमें गर्व नमीयुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है । इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस या 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है । न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए नहीं तो पपीते को नुकसान हो जाएगा ।

पपीता की सच्चाई -  पपीते के फल उत्पाद के लिए बगीचे में अवश्य जल प्रबंधन होना चाहिए क्योंकि पपीते के पेड़ में सही समय पर पानी दे सकें और आप पपीता प्रदान कर सके । जब तक पौधा मे फल नहीं आता तब तक पैड़ की सिंचाई करनी चाहिए । गर्मियों के दिनों में 1 सप्ताह  के दिनों में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए ।

पपीते का बीज - पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किए जाते हैं । 1 हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम से 1 किलो बीज की आवश्यकता होती है और एक हेक्टेयर खेती में प्रति घंटे के हिसाब से गड्ढे 2 - 2पौधे लगाने पर 5000 पौध लगेंगे ।

पपीता लगाने का समय -  पौधे पहले से तैयार किए गए गड्ढे में जून-जुलाई में लगाना चाहिए ।पपीते के पौधे पहले रोपण में तैयार किए जाते हैं या सिचाई का समुचित प्रबंधन होगा या फिर जहां पर पानी की ज्यादा व्यवस्था होती है वहां सितंबर से अक्टूबर और फरवरी से मार्च तक पपीते के पौधे लगाए जा सकते हैं ।

पौधे पॉलीथिन की चोली में तैयार करने की विधि  -  20 सेंटी मीटर चौड़े मुंह वाली 25 सेंटीमीटर लंबी तथा 100 सेंटीमीटर छेद वाली पोलिथिन थैलियों में  गोबर की खाद एवं रेत का मिश्रण करना चाहिए । थैली का ऊपरी सिरा 1 सेंटीमीटर भाग नहीं बनना चाहिए । प्रति थैली में दो से तीन बीज होना चाहिए क्योंकि अधिक होंगे तो पपीते के पौधे ठीक से नहीं होगे । मिट्टी में हमेशा पर्याप्त नमी रखना चाहिए । जब पौधे 15 से 20 मीटर ऊंचे हो जाए तब थैली को नीचे से काट देना चाहिए और आपने जो पहले से गड्ढे  तैयार किये  हैं उन गड्ढों में लगाना चाहिए ।

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